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________________ ३ श्री संभवनाथ a ५ श्री सुमतिनाथ FO ७ श्री सुपार्श्वनाथ 3 २ श्री सुविधिनाथ Se ११ श्री श्रेयासनाथ Gk. Pednekar २ श्री अजितनाथ १४ श्री अभिनंदनस्वामी १६ श्री पद्मप्रभस्वामी ८ श्री चंद्रप्रभस्वामी १० श्री शीतलनाथ ११२ श्री वासुपूज्यस्वामी 田安 手 श्री पंचपरमेष्टि 等訊 नमोतवस्स CA नमस्कार शिवमस्तु सर्व जगतः परहितनिरता भवन्तु भूतगणा: । दोषाः प्रयान्तु नाशं सर्वत्र सुखि भवतु लोकः ॥ खामेमि सब्बेजीवे. सब्वेजीवा स्वमंतु मे। मित्ती मे सब्बभृण्मु बेरं मज्झन के पाइ। महामंत्र नमोदंसणस्स ॐ ह्री अहँ (नमः) (असिआउसा सम्यग् ज्ञान-दर्शन- चारित्रेभ्यो नमः नमो अरिहंताएं नमो सिकदा नमो प्रायरियाएं नमो उवज्झामारी नमो लोए सव्यसाहए एसो पंच नमुक्कारी, संव्व पावप्पणासणी मंगलाएंणं च सच्चेसि पढमं हवइ मंगल A ३५ ३० दि १५ ह २०स ४५२ प ३० परा क्षिप ० ३५ र स्वा ६०८५ पुस १०२ हा स४०स २२ ३ ६ १५ [१६] १४ २० २१ २ 2 १ ७ १३ १६ २५ १८ २४ ५ ६ १२ १० ११ १७ २३ ४ १३ श्री विमलनाथ १५ श्री धर्मनाथ १७ श्री कथनाथ १९ श्री मतिनाथ २१ श्री नमिनाथ २३ श्री पार्श्वनाथ E १४ श्री अनंतनाथ १६ श्री शांतिनाथ 3 -१८ श्री अरनाथ २९ श्री नभिनाय २४ श्री महावीरस्वाम
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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