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________________ (७११ आंध्र प्रदेश सा 參參參參參爱參參參參參參參參參參參參參參 । ९. श्री हींकार तीर्थ JOGIC 综斷探縣缘缘聚缘聚缘聚缘 हीकार जैन मंदिरजी 擊探靡华縣除縣家擊级编织離家搬家拳擊拳擊级综舉家搬拳擊拳擊皖顺络 मूलनायक श्री कल्पतरु चिंतामणि पार्श्वनाथजी हीँकार की सुंदर रचना से शोभित विशाल सिंहासन है। तीर्थ स्थापना २०४० वैशाख सुदी ६ को हुई है। प्रभु प्रवेश सं. २०४२ माहवदी १ को हुआ है । पू. आ. श्री विजयरत्नशेखर सूरीश्वरजी म. (वागडवाले) के शिष्य पू. १. श्री भद्रानंदविजयजी म. के उपदेश से यह तीर्थ बना है। प्रतिमाजी प्राचीन जमीन में से निकली है। तीन शिखरवाला मूलनायक श्री कल्पतरू चिंतामणि पार्श्वनाथजी मंदिर बन रहा है। १२५ फुट ऊंचा मंदिर है। फाल्गुन सुदी १० को मेला लगता है। विजयवाडे से २० कि.मी. होता है। हीकार तीर्थ ट्रस्ट नागार्जुननगर जि. विजयवाडा। पिन ५२२ * ५१० स्टेशन विजयवाडा।" 縣除縣餐盤參聲援缘缘聚缘聚缘需 Live Maituलाख मूलनायक श्री कल्पतरू चितामणि पार्श्वनाथजी ॐ व्य 參參參參參參參參參參參參參參參參參參參跳眾參參參參參參
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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