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श्री मथुरा तीर्थ जैन मंदिरजी
१२. श्री मथुरा तीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
पत्थरने पारस करनारा, प्यारा पारसनाथ जंगल में मंगल करनारा, प्यार पारसनाथ भववनमां हुं रखडी रह्यो छु, नर्क निगोदनां दुःख दह्यो छु ।
दुःखी ने अमृत सींचनारा मोहनागथी मूर्छित थयो छु, विवेक शुद्धि भूली गयो छु ।
अज्ञान तिमिरने हरनारा । अनंत जीवन मारा धूल थयां छे, लाभे कर्मना पुंज रह्या छे,
कर्म ईंधनने बालनारा। जीवन नैया मारी डूबी रही छे, विराट सागरमा हेले चडी छे,
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
प्यारा- १
प्यारा
प्यारा
हे भवसागरथी तारनारा। तारे चरणें हुं जीवन ध समर्पण तन मन वचन करूं छु,
सुकान सोप्युं जिन जयकारा प्यारा तार के डूबाड तारे आधीन छे, तुज पद अमृते मुज मन लीन थे, जपे जिनेन्द्र हे प्रभु प्यारा।
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प्यारा
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प्यारा - ४
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शुभेच्छकः श्रीमती कंचनवेन केशवजी शामजी मारु पू. सा. श्री सुरेन्द्रप्रभाश्रीजी म. के उपवेश से कांदीवली मुंबई