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षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका
१४१ इसी अवतरण से ऊपर धवलाकारने जो कुछ कहा है उससे प्रकृत विषय पर और भी बहुत विशद प्रकाश पड़ता हैं । वह प्रकरण इस प्रकार है -
तत्थेदं किं णिबद्धमाहो अणिवद्धमिदि ? ण ताव णिबद्धमंगलमिदं महाकम्मपयडीपाहुडस्स कदि- यादि - चउवीसअणियोगावयवस्य आदीए गोदमसामिणा परुविदस्स भूतवलिभढारएण वेयणाखंडस्स आदीए मंगलटुं तत्तो आणेदूण ठविदस्स णिबद्धत्तविरोहादो । ण च वेयणाखंडं महाकम्मपयडीपाहुडं अवयवस्स अवयवित्तविरोहादो। ण च भूदवली गोदमो विगलसुदधारयस्स धरसेणाइरियसीसस्स भूदवलिस्स सयल - सुदधारयवड्डमाणंतेवासिगोदमत्तविरोहादो । ण चाण्णो पयारो णिबद्धमंगलत्तस्स हेदुभूदो अस्थि। तम्हा अणिबद्धमंगलमिदं । अथवा होदु णिबद्धमंगलं । कथं वेयणाखंडादिखंडगयस्स महाकम्मपयडिपाहुडत्तं ? ण, कदिया (दि) चउवीस-अणियोगद्दारेहिंतो एयंतेण पुधभूदमहाकम्मपडिपाहुडाभावादो । एदेसिमणियोगद्दाराणं कम्मपयडिपाहुडत्ते संते पाहुड - बहुत्तं पसज्जदे ? ण एस दोसो, कथंचि इच्छिजमाणत्तादो । कधं वेयणाए महापरिमाणाए उवसंहारस्स इमस्स वेयणाखंडस्स वेयणा-भावो ? ण, अवयवेहिंतो एयंतेण पुधभूदस्स • अवयविस्स अणुवलंभादो। ण च वेयणाए बहुत्तमणिट्टमिच्छिजमाणत्तादो । कधं भूदवलिस्स
गोदमतं ? किं तस्स गोदमत्तेण ? कधमण्णहा मंगलस्स णिबद्धतं ? ण, भूदबलिस्स खंडगंथं पडि कत्तात्ताभावादो । ण च अण्णेण कय-गंथा-हियाराणं एगदेसस पुग्विहा (पुब्बिल्ल) सद्दत्थ - संदभस्स परूवओ कत्तारो होदि, अइप्पसंगादो । अधवा भूदबली गोदमो चेव एगाहिप्पायत्तादो। तदो सिद्धंणिबद्धमंगलत्तंपि । उवरि उच्चमाणेसु तिसु खंडेसु ....इत्यादि।
१. शंका - इनमें से, अर्थात् निबद्ध और अनिबद्ध मंगलों में से, यह मंगल निबद्ध है या अनिबद्ध ?
समाधान - यह निबद्ध मंगल नहीं है, क्योंकि कृति आदि चौबीस अवयवों वाले महाकर्मप्रकृतिपाहुड के आदि में गौतमस्वामी द्वारा इसका प्ररूपण किया गया है । भूतबलि स्वामी ने उसे वहां से लाकर वेदनाखंड के आदि में मंगल के निमित्त रख दिया है। इसलिये उसमें निबद्धत्व का विरोध है । वेदनाखंड कुछ महाकर्मप्रकृतिपाहुड तो है नहीं, क्योंकि अवयव को ही अवयवी मानने में विरोध आता है । और भूतबलि गौतमस्वामी हो नहीं सकते, क्योंकि विकल श्रुत के धारक और धरसेनाचार्य के शिष्य ऐसे भूतबलि में सकलश्रुत के धारक और वर्धमान स्वामी के शिष्य ऐसे गौतमपने का विरोध है । और कोई प्रकार