Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 584
________________ (२६) खगचर खण्ड खातफल ख . ११-९०, ११५, १३-३९० ३-३९, ४१ ४-१२, १८१, १८६ ७-६; १३-३३५ १३-३३२, ३३५, ३४१ ९-९६ खेट खेटविनाश खेलौषधि क्षयोपशम ७-९२ क्षयोपशमलब्धि ६.२०४ क्षायिक १-१६१, १७२; ७-३०; ९-४२८ क्षायिकचारित्र १४-१६ क्षायिकपरिभोगलब्धि १४-१६ क्षायिकभोगलब्धि १४-१७ क्षायिकलब्धि ७-९० क्षायिकलाभलब्धि १४-१७ क्षायिकविपाकप्रत्ययिक-जीवभावबंध १४-१५, १६ क्षायिकसम्यक्त्व १-३९५; ७-१०७, १४-१६ क्षायिकसम्यक्त्वाद्धा ५-२५४ क्षायिकसम्यग्दृष्टि १-१७१; ४-३५७, ६-४३२, ४४१ क्षायिकसंज्ञा ५-२०० क्षायोपशमिक १-१६१, १७२; ५-२००, २११, २२०; ७-३०, ६१ क्षायोपशमिक भाव ५-१८५, १९८ क्षिप्र ९-१५२ क्षिप्रप्रत्यय १३-२३७ क्षीणक्रोध १४-१६ क्षीणदोष १४-१६ क्षीणमाया १४-१६ क्षीणमोह १४-१६ क्षीणराग १४-१६ क्षीणलोभ १४-१६ क्षेत्र १४-३६ क्षेत्रवर्गणा १४-५२ गणधर गगन ४-८ गच्छ ४-१५३, २०१; १०-५०, १३-६३ गच्छराशि ४-१५४ गच्छसमीकरण ४-१५३ गड्डी १४-३८ गण १३-६३ ९-३, ५८ गणनकृति ९-२७४ गणनानन्त ४-१५, १८ गणनासंख्यात ३-१२४, १२६ गणित ४-३५, २०९ गाणी गति ६-५०, ७-६; १३-३३८, ३४२, ३४६ गति आगति गतिनाम १३-३६३, ३६७ गतिनिवृत्ति गतिमार्गणता १३-२८०, २८२ गतिसंयुक्त ८-८ गन्ध ६-५५; ८-१० गन्धनाम १३-३६३ ३६४, ३७० १४-२२ ९-२७६

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