Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 636
________________ (७८) स्वप्न स्निग्घस्पर्श १३-२४ स्पर्द्धक ७-६१, १०-४९२, १२-९५ स्पर्धकान्तर १२-११८ स्पर्श ६-५५, ८-१०, १३-१, ४, ५, ७, ८, ३५ स्पर्शअनुयोगद्वार ९-२३३, १३-२ स्पर्शअन्तरविधान १३-२ स्पर्शअल्पबहुत्व स्पर्शकालविधान १३-२ स्पर्शक्षेत्र विधान १३-२ स्पर्शगतिविधान १३-२ स्पर्शद्रव्यविधान स्पर्शन १३-३६३, ३६४, ३७० स्पर्शनामविधान १३-२ स्पर्शनिक्षेप १३-२ स्पर्शनेन्द्रिय ४-३९१ स्पर्शनेन्द्रियअर्थावग्रह १३-२२८ स्पर्शनेन्द्रियईहा १३-२३१, २३२ स्पर्शनेन्द्रियंजनावग्रह १३-२२५ स्पर्शपरिणामविधान १३-२ स्पर्शप्रत्ययविधान १३-२ स्पर्शप्रवीचार १-३३८ स्पर्शभागाभागविधान १३-२ स्पर्शभावविधान १३-२ स्पर्शसन्निकर्षविधान १३-२ स्पर्शस्पर्श १३-३, ६, ८, २४ स्पर्शस्पर्शविधान १३-२ स्पर्शस्वामित्वविधान १३-२ स्पर्शानुगम १-१५८, ४-१४४ स्पर्शानुयोग १३-१, १६ स्पृष्टअस्पृष्ट १३-५२ स्फटिक १३-३१५ ९-१४२, १३-२४४,३३२, ३३३, ३४१ स्याद्वाद ९-१६७ स्वकर्म १३-३१९ स्वकप्रत्यय ४-२३४ स्वक्षेत्र १३-३१९ ९-७२, ७४ स्वप्रत्यय स्वयंप्रभपर्वत ४-२२१ स्वयंप्रभपर्वतपरभाग ४-२१४ स्वयंप्रभपर्वतपरभागक्षेत्र ४-१६८ स्वयंप्रभपर्वतोपरिमभाग ४-२०९ स्वयंभह १-१२० स्वयंभूरमणाक्षेत्रफल ४-१९८ स्वयंभूरमण्समुद्र ४-१५१, १९४ स्वयंभूरमणासमुद्रविष्कम्भ ४-१६८ ९-७२; १३-२४७ स्वसमयवक्तव्यता स्वयंवेदन ९-११४ स्वस्तिक १३-२९७ स्वस्थान ४-२६, ९२, १२१ स्वस्थानअल्पबहुत्व ३-११४, २०८; ५-२८९; ९-४२९ स्वस्थानक्षेत्रमेलापनविधान ४-१६७ स्वर

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