Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 583
________________ (२५) कृतिवेदनादिक ७-१ क्रमवृद्धि १०-४५२ कृष्टि ६-३१३; १०-३२४, ३२५; १३-८५; क्रमहानि १०-४५२ १६-५२१, ५७२ क्रिया १-१८; १३-८३ कृष्टि अन्तर क्रियाकर्म १३-३८, ८८ कृष्टिकरणाद्धा ६-३७४, ३८२ क्रियाबाददृष्टि ९-२०३ कृष्टिवेदकाद्धा ६-३७४, ३८४ क्रियाविशाल १-१२२, ९-२२४ कृष्टीकरण ४-३९१ क्रोध १-३५०, ६-४१, १२-२८३ कृष्ण ६-२४७ क्रोधकषायाद्धा ४-४४४ कृष्णनीलकापोततजपद्मशुक्ललेश्या १-३८८; । क्रोधमानमायालोभभाव १४-११ ७-१०४; ८-३२०; १६-४८४, ४८८, ४९० क्रोधसंज्जवलन १३-३६० कृष्णवर्णानाम १३-३७० क्रोधाद्धा ४-३९१ कृष्णवर्णानामकर्म ६-७४ क्रोधोपशामनाद्धा ५-१९० कृष्णादिमिथ्यात्वकाल ४-३२४ क्ष केवल ८-२६४ क्षण ४-३१७, १३-२९५, २९९ केवलकाल ९-१२० क्षणलवप्रतिबोधनता ८-७९, ८५ केवलज्ञान १-९५, १९१, ३५९, ३६०, ३८५; क्षणिकैकान्त ९-२४७ ४-३९१; ६-२९, ३३, ४८९, ४९२; क्षपक ४-३५४, ४४७, ५-१०५, १२४, २६०; १०-३१९, १३-२१२, २४५; १४-१७ ७-५, ८-२६५, ९-१० केवलदर्शनी ७-९८, १०३, ८-३१९; क्षपकश्रेणी ४-३३५, ४४७, ५-१२, १०६; ९-११८ १०-२९५, १२-३० केवललब्धि ९-११३ क्षपकश्रेणीप्रायोग्यविशुद्धि ४-३४७ केवलिसमुद्घात ४-२८, ६-४१२, ७-३०० क्षपकदश ५-१५६, १६० केवली ६-२४६, ७-५; १०-३१९ क्षपण १-२१६ केशत्व ६-४८९, ४९२, ४९५, ४२६ क्षपित ९-१५ कोटाकोटी ३-२५५, ४-१५२; क्षपितकर्माशिक ६-२५७; ९-३४२, ३४५; कोटि १३-३१५ १०-२२, २१६; १२-११६, ३८४, ४२६ कोटी ४-१४ क्षपितघोलमान १०-३५, २१६, १२-४२६ कोष्ठबुद्धि ९-५३, ५४ क्षय ५-१९८, २०२, २११, २२०; ७-९; कोष्ठा १३-२४३ ९-८७९२

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