Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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(६७)
व्यन्तरदेवराशि
४-१६१ व्यन्तरदेवसासादनसम्यग्दृष्टिस्वस्थानक्षेत्र
४-१६१ व्यन्तरावास
४-१६१, २३१ व्यभिचार ४-४६, ३२०५-१८९, २०८ ६-४६३, ४६५, ८-३०८; ९-१०७,
१०-५१०; १२-२१; १३-७ व्यवस्थापद
१०-१८, १२-३ व्यवसाय
१३-२४३ व्यवहार १-८४, ७-२९, १३-४, ३९, १९९ व्यवहारकाल
४-३१७ व्यवहारनय ७-१३, ६७, ९-१७१ व्यवहारपल्य
१३-३०० व्याख्यान ४-७९, ११४, १६५, ३४१ व्याख्याप्रज्ञप्ति १-१०१, ११०,
९-२२०, २०७
शतार
४-२३६ शब्दनय १-८७, ७-२९, ९-१७६, १८१;
१३-६, ७, ४०, २०० शब्दप्रवीचार
१-२३९ शब्दलिङ्गज
१३-२४५ शरीर
१४-४३४, ४३५ शरीरआंगोपांग ६-५४; १३-३६३, ३६४ शरीरनाम १३-३६३, ३६७ शरीरनामकर्म
६-५२ शरीरनिवृत्तिस्थान
१४-५१६ शरीरपर्याप्ति १-२५५, ७-३४; १४-५२७ शरीरबन्ध १४-३७, ४१, ४४ शरीरबन्धन
६-५३ शरीरबन्धनगुणछेदना १४-४३६ शरीरबन्धननाम. १३-३६३, ३६४ शरीरविस्त्रसोपचयप्ररूपणा १४-२२४ शरीरसंघात शरीरसंघातनाम् १३-३६३, ३६४ शरीरसंस्थान
६-५३ शरीरसंस्थाननाम १३-३६३, ३६४ शरीरसंहनननाम १३-३६३, ३६४ शरीरी १-१२०; १४-४५, २२४ शरीरीशरीरप्ररूपणा १४-२२४ शलाका ३-३१; ४-४३५, ४८४, ६-१५२ शलाकाराशि
३-३३५, ३३६ शलाकासंकलना
४-२०० शशिपरिवार
४-१५२ शाटिका (साडिया)
१४-४१
व्याघात
४-४०९
व्यापक
४-८
व्यास व्युत्सर्ग व्रज
४-२२१ ८-८३, ८५; १३-६१
१३-३३६
८-८३
व्रत
शककाल
शकट शक्तिस्थिति
९-१३२
१४-३८ १०-१०९, ११० १३-१३१६
४-२३४
शक्र
शत
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