Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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(३०
चैतन्य चैत्यवृक्ष
१-१४५ ९-११०
१-२२
छेद
चन्द्रबिम्बशलाका
४-१५९ चयन
१३-३४६, ३४७ चयनलब्धि १-१२४; ९-२२७, १३-२७० च्यावित
१-२२ च्यावितदेह
९-२६९ च्युत च्युतदेह
९-२६९ चरमफालि
६-२९१ चरमवर्गणा
६-२०१ चारण
९-७८ चारित्र
६-४०; १५-१२ चारित्रमोहक्षपण
७-१४ चारित्रमोहनीय ६-३७, ४०; १३-३५७,
३५९ चारित्रमोहोपशामक
७-१४ चारित्रविनय
८-८०, ८१ चार्वाक
१३-२८८ चालनासूत्र चित्रकर्म ९-२४९, १३-९, ४१, २०२;
१४-५ चित्रा
४-२१७ चिन्ता १३-२४४, ३३२, ३३३, ३४१ चिरन्तन अनुभाग
१२-३६
१४-३८ चूर्ण
९-२७३ चूर्णाचूर्णि
१२-१६२ चूर्णिसूत्र
८-९; १२-२३२ चूलिका ७-५७५, ९-२०९,१०-३९५; ।
११-१४०, १४-४६९
छद्यस्थ
१-१८८, १९०, ७-५ छद्यस्थकाल
९-१२० छद्यस्थवीतराग
१३-४७ छवि
१४-४०१ छह द्रव्य प्रक्षिप्त राशि ३-१९, २६, १२९ छिन्न
९-७२, ७३; १२-१६२ छिन्नस्वप्न
९-७४ छिन्नाछिन्न
१२-१६२ छिन्नायुष्ककाल
४-१६३
१३-६१; १४-४०१ छेदगुणाकार
११-१२८ छेदना
१४-४३५, ४३६ छेदभागहार १०-६६, ७२, २१४;
११-१२५; १२-१०२, छेदराशि
१०-१५१ छेदोपस्थापक
१-३७२ छेदोपस्थापनशुद्धि संयम १-३७०
ज जगप्रतर ३-१३२, १४२, ४-१८, ५२, १५०, १५१, १५५, १६९, १८०, १८४,
१९९, २०२, २०९, २३३, ७-३७२ जगश्रेणी ३-१३५, १४२, १७७,
४१०, १८, १८४, ७-३७२ जघन्य
१३-३०१, ३३८; जघन्यअनन्तानन्त
३-११ जघन्यउत्कृष्टपद
१४-३९२
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