Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 616
________________ मिश्रनोकर्मद्रव्यबन्धक मिश्रप्रकम मिश्रमङ्गल मिश्रवेदना मीमांसक मीमांसा मुक्त मुख मुखप्रतराङ्कुल मुखविस्तार मुनिसुव्रत मुहूर्त मुक्तजीवसमवेत १०-५ · मुक्तमारणान्ति ४- १७५, २३०, ७-३०७, ३१२ मुक्तमारणान्तिकराशि ४-७६, ३०७, ३१२ ४-१४६; १३-३७१, ३८३ ४-४८ ४-१३ १३-३७ ३-६६, ४-३१७, ३९०; १३-२९८, २९९ ५-३२, ४५ मुहूर्त पृथक्त्व मुहूर्तान्त मूर्तद्रव्यभाव मूल मूलनिर्वर्तना मूलतंत्र मूलप्रकृति मूलप्रकृतिबन्ध ७-४ मृग मूलप्रत्यय मूलप्रायश्चित मूलाग्रसमास १५-१५ १-२८ १०-७ ६-४९०; ९-३२३ १३-२४२ १६-३३८ १३-३०६ १२-२ ४-१४६; १०-१५० १६-४८६ १३-९० ६-५ ८-२ ८-२० १३-६२ ४-३३; १०-१२३, १३४, २४६ मृतिका मृदुक मृदुकनामकर्म मृदुनाम मृदुस्पर्श मृदंगक्षेत्र मृदंग मुखरुंदप्रमाण मृदंगसंस्थान मृदंगाकार मृषावाद मेघा मेरु मेल मेरुपर्वत मेरुमूल मेह मैत्र मैथुन मैथुनसंज्ञा मोक्षअनुयोगद्वार मोक्षकारण मोक्षप्रत्यय मोक्षमनोयोग (५८) १२-२८२ १-१४५ मोक्ष ६-४९० ९-६, १३-३४६, ३८४; १६-३३७, ३३८ ९-२३४ ७-९ ७-२४ १- २८०, २८१ १२-२८३; १४-११ ६-११; १३-२६, २०८, ३५७ मोह मोहनीय १३-३९१ १३- २०५ १३-५० ६-७५ १३-३७० १३-२४ ४-५१ ४-५१ ४-२२ ४-११, १२ १२-२७९ १३-२४२ ४-१९३ ४-२०४ ४-२०४ ४-२०५ १४-३५ ४-१८

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