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भेलसा (अब विदिशा) के दानवीर श्रीमंत सेठ लक्ष्मीचंदजी जिनके उदात्त दान से सोलह खंडों में जैन सिद्धांतग्रंथ षट्खंडागम सुधी श्रावकों के लाभार्थ प्रकाशित हुआ।
प्राच्यविद्याचार्य (डा.) हीरालाल जैन जिनकी सर्वार्थगामिनी प्रज्ञा और २० वर्षों के सात्विक श्रम से षट्खंडागम सिद्धान्तग्रंथ सर्वसुलभ हुये।