Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 574
________________ उग्रतप उग्रोग्रतप उच्चगोत्र उच्चारणा उच्चारणाचार्य उच्चैगोत्र. उच्छेद उच्छेणी उच्छ्वास उच्छ्वासनाम उत्कीरणाकाल उत्कीरणद्धा उत्कीरणाद्धा ५-१०; १०-३२१ १६-५२० १०-२९२ ११-३३९ ६-२२६ १४-३९२ १०-३८५ १४-३९७ ११-९१ १०-३१ उत्कृष्ट सान्तर वक्रमणाकाल १४-४७६ उत्कर्षण उत्कृष्ट दाह उत्कृष्ट निक्षेप उत्कृष्ट पद उत्कृष्टपद अल्पबहुत्व उत्कृष्टपदमीमांसा उत्कृष्ट स्थिति संक्लेश उत्कृष्टपद स्वामित्व उत्तर उत्तर (धन) ९-८७ ९-८७ ६-७७, ८-११ १०-४५ १०-४४ १३-३८८, ३८९ ५-३ ४८० ३-६५, ६६, ६७, ६-६०, ८-१० १३-३६३, ३६४ उत्तरकुरु उत्तरनिर्वर्त्तना ६-१६८, १७१, ६-२१३; १०-५२ १०-१५०, १९०, ४७५ ३-९१, ९३, ९४ ४-३६५ २६-४८६ (१६) ६-६ ८-२ १५-२८३ ३ - ९४, ९९, ५-३२ ८-२० १-९७ ४-५० ९-१३० ४-३७८, ५-४७ ४-१७९ ४-१७९ १३-३४६ ६-४८४, ४८६, ४८७, ४८८ ४-३३६; १५-१९ १-११४, ९-२१२. उत्पादस्थान ६-२८३ उत्पादानुच्छेद (परिशिष्ट भाग १ ) १-२८; १२-४५७ १०-४० उत्तरप्रकृति उत्तरप्रकृतिबंध उत्तरप्रकृतिविपरिणामना उत्तरप्रतिपत्ति उत्तर प्रत्यय उत्तराध्ययन उत्तराभिमुख केवली उत्तरोत्तरतंत्रकर्त्ता उत्तान शैय्या उत्पत्तिक्षेत्र उत्पत्तिक्षेत्र समान क्षेत्रान्तर उत्पन्नज्ञानदर्शी उत्पन्नलय उत्पाद उत्पाद पूर्व उत्सर्गसूत्र उत्सर्पिणी उत्सेध उत्सेधकृति उत्सेधकृतिगुणित उत्सेधगुणा उत्सेधयोजन उत्सेधांगुल ३ - १८, ४-३८९, ९-११९ ४-१३, २०, ५७, १८१ ४-२१ ४-५१ ४-२१० ४-३४ ४-२४, १६०, १८५, ९-१६ ४-४० उत्सेधांगुलप्रमाण

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