Book Title: Shatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 577
________________ (१९) उपादेय ७६९ उपादेयछेदना १४ ४३६ उपाध्याय १-५० उपार्धपुदलगपरिवर्तन ४-३३६, ७-१७१, २११ उपासकाध्ययन १-१०२; ९-२०० उभय १३-६० उभयसारी ९-६० उभयान्त ३-१६ उभयासंख्यात ३-१२५ उराल १४-३२२, ३२३ उलुच्जुन १३-२०४ उश्वास ४-३९१ उष्णानाम १३-३७० उथ्णानामकर्म उष्णास्पर्श १३-२४ ऋजुमतिमन: पर्ययज्ञानावरणीय १३-३२८, __ ३२९, ३४० ऋजुवलन ४-१८० ऋजुसूत्र ९-१७२, २४४; १३-६, ३९, ४०, १९९ ऋजुसूत्रनय ७-२९ १०-१५२ ऋतु ४-३१७, ३९५; १३-२९८, ३०० ऋद्धि १३-३४६, ३४८; १४-३२५ ऋण ऊर्ध्वकपाट १३-३७२ ऊर्ध्वकपाटच्छेदनकनिष्पन्न ४-१७६ ऊर्ध्वलोक ४-९, २५६ ऊर्ध्वलोकक्षेत्रफल ४-१६ ऊर्ध्वलोकप्रमाणा ४-३२, ४१, ५१ ऊर्ध्ववृत्त ४-१७२ ऊहा १३-२४२ ऋ ऋजुक १३-३३० ऋजुगति ४-२६, २९, ८० ऋजुमति ४-२८, ९-६२ १३-२३६ एक-एकमूलप्रकृतिबंध ८-२ एकक्षेत्र १३-६, २९२, २९५ एकक्षेत्रस्पर्श १३-३, ६,१६ एकक्षेत्रावगाद ४-३२७ एकत्वविचारअविचार १३-७२ एकत्ववितर्कअविचार-शुक्लध्यान ४-३९१ एकदण्ड ४-२२६ एकनारकावासविष्कम्भ ४-१८० एकप्रत्यय ९-१५१ एकप्रादेशिकपुद्गल द्रव्यवर्गणा १४-५४ एकप्रादेशिकवर्गणा १४-१२१, १२२ एकबन्धन १४-४६१ एकविध ९-१५२; १३-२३७ एकविध अवग्रह ६-२० एकविंशतिप्रकृतिउदयस्थान ७-३२ एकस्थान ११-३१३ एकस्थानदण्डक ८-२७४

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