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३७७३
समय
षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका
यह कालप्रमाण तालिका रूप में इस प्रकार रखा जा सकता है - अहोरात्र या दिवस = ३० मुहूर्त = २४ घंटे मुहूर्त ___ = २ नाली = ४८ मिनिट नाली - ३८॥ लव : २४ मिनिट लव
= ७ स्तोक : ३७३१ सेकेंड स्तोक - ७ उच्छ्वास = ०५ ११ सेकेंड उच्छ्वास या प्राण = संख्यात आवली : २८८० सेकेंड आवलि - असंख्यात (ज.यु.असं.) समय
- एक परमाणु के एक आकाश प्रदेश से दूसरे आकाश
प्रदेश में मन्द गति से जाने का काल एक सामान्य स्वस्थ प्राणी के (मनुष्य के) एक बार श्वास लेने और निकालने में जितना समय लगता है उसे उच्छ्वास कहते हैं । एक मुहूर्त में इन उच्छ्वासों की संख्या ३७७३ कही गई है, जो उपर्युक्त प्रमाणानुसार इस प्रकार आती है - २ x ३८१ ७४७ : ३७७३ । एक अहोरात्र (२४ घंटे में) ३७७३ x ३० = १,१३,१९० उच्छवात होते हैं । इसका प्रमाण एक मिनट में 108 = ७८.६ आता है, जो आधुनिक मान्यता के अनुसार ही है।
एक मुहूर्त में एक समय कम करने पर भिन्न मुहूर्त होता है, तथा भिन्न मुहूर्त से एक समय कम काल से लगाकर एक आवलि व आवलि से कम काल को भी अन्तर्मुहूर्त कहा है । (पृ.६७) इस प्रकार एक अन्तर्मुहूर्त सामान्यत: संख्यात आवलि प्रमाण ही होता है, किन्तु कहीं - कहीं अन्तर् शब्द को सामीप्यार्थक मानकर असंख्यात आवलि प्रमाण भी मान लिया गया है । (पृ.६९)
___ पंद्रह दिन का एक पक्ष, दो पक्ष का मास, दो मास की ऋतु, तीन ऋतुओं का अयन, दो अयन का वर्ष, पांच वर्ग का युग, चौरासी लाख वर्ष का पूर्वांग, चौरासी लाख पूर्वांग का पूर्व, चौरासी पूर्व का नयुतांग, चौरासी लाख नयुतांग का नयुत, तथा इसी प्रकार चौरासी और चौरासी लाख गुणित क्रम से कुमुदांग और कुमुद, पद्यांग और पद्य, नलिनांग और नंलिन, कमलांग और कमल, क्रुटितांग और त्रुटित, अटटांग और अटट, अममांग और