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षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका
२३२ चौदह गुणस्थानों की जीवराशियों के प्रमाण-प्ररूपण के पश्चात् उनका भागाभाग और फिर उनका अल्पबहुत्व बतलाया गया है । भागाभाग में सामान्य राशि को लेकर विभाग करते हुए सबसे अल्प राशि तक आये हैं । अल्पबहुत्व में सबसे छोटी राशि से प्रारंभ करके गुणा और योग (सातिरेक) करते हुए सबसे बड़ी राशि तक पहुंचे हैं । इस अल्पबहुत्वका तीन प्रकार से प्ररूपण किया गया है, स्वस्थान, परस्थान और सर्वपरस्थान । इस अल्पबहुत्वा का तीन प्रकार से प्ररूपण किया गया है, स्वस्थान, परस्थान और सर्वपरस्थान । स्वस्थान में केवल अवहारकाल और विवक्षित राशि का अल्प बहुत्व बतलाया गया है। परस्थान में अवहारकार, भाज्य तथा अन्य जो राशियां उनके प्रमाण के बीच में आ पड़ती हैं उनका और विवक्षित राशि का अल्पबहुत्व दिखाया गया है। तथा सर्वपरस्थान में उक्त राशियों के अतिरिक्त अन्य राशियों से भी अल्पबहुत्व दिखाया गया है।
(पृ.१०१-१२१) जीवराशि का मार्गणास्थानों की अपेक्षा प्रमाण-प्ररूपण
गुणस्थानों में जीवप्रमाण-प्ररूपण के पश्चात् गति आदि चौदह मार्गणाओं व उनके भेद-प्रभेदों में जीवराशि का प्रमाण दिखलाया गया है और यहां प्रत्येक राशि का प्रमाण, भागाभाग और अल्प बहुत्व यथाक्रम से समझाया गया है । जिस प्रकार गुणस्थानों में प्रथम मिथ्यादृष्टि के प्रमाण समझाने में आचार्य ने गणित की अनेक प्रक्रियाओं का उपयोग करके दिखाया है, उसी प्रकार मार्गणास्थानों में प्रथम नरकगति के प्रमाणप्ररूपण में भी गणितविस्तार पाया जाता है । (देखो पृ.१२१-२०५)
उक्त प्रमाण-विवेचन बड़ी सूक्ष्मता और गहराई के साथ किया गया है, किन्तु आचार्य ने अंक-संदृष्टि कायम नहीं रखी, जिससे सामान्य पाठकों को विषय का बोध होना सुगम नहीं है । अतएव हम यहां पर उन सब मार्गणाओं की पृथक्-पृथक् प्रमाण-प्ररूपण अंकसंदृष्टियां आचार्य द्वारा कल्पित अंकों के आधार से बनाने का प्रयत्न करते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य अनन्त, असंख्यात व संख्यात के भीतर राशियों के अल्पबहुत्व का कुछ स्थूल बोध कराना मात्र है । प्रत्येक मार्गणा के भीतर संपूर्ण जीवराशि का समुच्चय प्रमाण १६ ही रखा गया है। किन्तु सूक्ष्म दृष्टि से परीक्षण करने पर एक दूसरी मार्गणाओं की अंकसंदृष्टियों में परस्पर वैषम्य दृष्टिगोचर हो सकता है। यह सर्वजीवराशि के लिये केवल १६ जैसी अल्प संख्या लेकर समस्त मार्गणाओं के प्रभेदों को उदाहृत करने में प्राय: अनिवार्य ही है। एक राशि दूसरी राशि से जितनी विशेष व जितनी गुणित अधिक है उसका अनुमान इन अंकों से