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षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका
अनन्त
२२ सिद्ध
२३ अभव्य
असंख्यात
४५ मतिज्ञानी ।
४६ श्रुतज्ञानी
४७ अवधिज्ञानी
४८ अवधिदर्शनी
}
४९ शुल्कलेश्या
५० क्षायोपशमिकसम्यक्त्वी
५१ क्षायिक सम्यक्त्वी
५२ औपशमिक सम्यक्त्वी
५३ मिश्र
५४ सासादन
५५ देशसंयत
संख्यात
अनन्त राशिया २३, असंख्यात राशिया २४ से ५५ = ३२, संख्या ५६ से ६३ = ८; कुल ६३
इस प्रमाण-प्ररूपण में स्वाभावतः पाठकों को मनुष्यों के प्रमाण के सम्बन्ध में विशेष कौतुक हो सकता है । इस आगमानुसार सर्व मनुष्यों की संख्या असंख्यात है। उनमें गुणस्थानों की अपेक्षा मिथ्यादृष्टि द्रव्यप्रमाण से असंख्यात, कालप्रमाण से असंख्यातासंख्यात कल्पकाल ( अवसर्पिणियों - उत्सर्पिणियों) के समय प्रमाण, तथा क्षेत्रप्रमाण से जगश्रेणी के असंख्यातवें भाग अर्थात् असंख्यात करोड़ योजन क्षेत्र प्रदेश प्रमाण हैं । द्वितीयादि गुणस्थानवर्ती जीव संख्यात हैं, जो इस प्रकार हैं
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५२ करोड़ (व मतान्तर से ५० करोड़ )
१०४ करोड़ (पूर्वोक्त से दुगुने)
७०० करोड़
१३ करोड़
२ सासादन गुणस्थानवर्ती मनुष्य
३ मिश्र गुणस्थानवर्ती मनुष्य ४ असंयतसम्यग्दुष्टि गुणस्थानवर्ती मनुष्य
५ संयतासंयत गुणस्थानवर्ती मनुष्य