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छक्खंडागम
इस प्रकारसे सिद्ध है कि बन्ध विधानके उत्तरप्रकृतिगत अव्युद्गाढ भेदके प्रकृतिस्थानसम्बन्धी आठ प्ररूपणाओं से जीवस्थान नामक प्रथम खण्डकी पहली सत्प्ररूपणा, तीसरी क्षेत्रप्ररूपणा, चौथी स्पर्शनप्ररूपणा, पांचवीं कालप्ररूपणा, छठी अन्तरप्ररूपणा और आठवीं अल्पबहुत्वप्ररूपणा निकली है । सातवीं भावप्ररूपणाका उद्गम एकैकोत्तर प्रकृतिस्थानके तेईसवें भाव-अनुयोगद्वारसे हुआ है। दूसरी संख्याप्ररूपणाका उद्गम स्थान बन्धक ११ अनुयोगद्वारोंमेंसे पांचवां द्रव्यप्रमाणानुगम अनुयोगद्वार है। जीवस्थानकी शेष जो चार चूलिकाएं हैं उनका उद्गम इस प्रकार हुआ है
बन्धविधान
प्रकृतिबन्ध
स्थितिबन्ध
अनुभागबन्ध
प्रदशबन्ध
मूल
उत्तर
-{१ अद्धाच्छेद
२ सर्व ३ नोसर्व
2028
५ अनुत्कृष्ट ६ जघन्य ७ अजघन्य ८ सादि ९ अनादि १० ध्रुव ११ अध्रुव १२ स्वामित्व १३ काल
१५ सन्निकर्ष ११६ भंगविचय १७ भागाभाग १८ परिमाण १९ क्षेत्र २० स्पर्शन २१ काल २२ अन्तर . २३ भाव २४ अल्पबहुत्व
जघन्य अद्धाच्छेद
उत्कृष्ट अद्धाच्छेद
जघन्य स्थिति (छठी चूलिका)
उत्कृष्टस्थिति (सातवीं चूलिका)
बारहवां दृष्टिवाद अंग
१ परिकर्म
४ पूर्वगत
५ चूलिका
२ सूत्र ३ प्रथमानुयोग सम्यक्त्वोत्पत्ति (आठवीं चूलिका)
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