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प्रस्तावना
[५ निकला है, और इसी अनुयोगद्वारके बन्धविधाननामक चौथे भेदसे महाबन्ध नामका छठा खण्ड निकला है।
___ बन्धन नामक छठे अनुयोगद्वारके बन्धविधान नामक चौथे भेदसे बन्धस्वामित्वविचय नामका तीसरा खंड और जीवस्थान नामक प्रथम खण्डके अनेक अनुयोगद्वार निकले हैं । यथा
बन्धविधान
१ प्रकृतिबन्ध २ स्थितिबन्ध ३ अनुभागबन्ध ४ प्रदेशबन्ध
मूलप्रकृति
उत्तरप्रकृति
......
एकैकोत्तर
अव्युद्गाढ ----
--{१ समुत्कीर्तना -
२ सर्वबन्ध ३ नोसर्वबन्ध ४ उत्कृष्टबन्ध ५ अनुत्कृष्टबन्ध ६ जघन्यबन्ध ७ अजघन्यबन्ध ८ सादिबन्ध ९ अनादिबन्ध १० ध्रुवबन्ध
११ अध्रुवबन्ध ---{१२ बन्धस्वामित्ववि.
१३ बन्धकाल १४ बन्धान्तर १५ बन्धसन्निकर्ष १६ भंगविचय १७ भागाभाग १८ परिमाण १९ क्षेत्र २० स्पर्शन २१ काल २२ अन्तर {२३ भाव २४ अल्पबहुत्व
तीसरा खंड बन्धस्वामित्वविचय
भावप्ररूपणा
५ तृतीयदंडक
. १ प्रकृतिसमु० २ स्थिति० ३ प्रथमदंडक ४ द्वितीयदंडक
प्रथम खंड जीवस्थानकी पांच चूलिकाएं
( जीवस्थानकी सातवीं प्ररूपणा
अव्युद्गाढ
भुजाकार
प्रकृतिस्थान
-१ सत्प्ररूपणा
२ संख्याप्ररूपणा -३ क्षेत्रप्ररूपणा -४ स्पर्शनप्ररूपणा
labakel
|-६ अन्तरप्ररूपणा
७ भावप्ररूपणा -८ अल्पबहुत्वप्ररूप.
इन्हीं नामोंवाली जीवस्थानकी छह प्ररूपणाएं
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