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समयमार कलग टीका है। एक नन्याप निम्नय में प्रकटम्प है तथा उसके बग्म अर्थात् मान ग्वभाव का उत्कर्ष पृज्य है ।।।। मया ज्यों चिरकाल गही मुधा महि.
नर महानिधि ग्रंकर गझी। को ग्वारि घरे महि परि, जो दगवन निने ब मूझी ।।
न्यों गर प्रारम की अनुमति, पड़ी जाभाव प्रनादि प्रमझी। नं जुगनागम माधि कही गृह. लहान वेदि विचक्षण बझी ॥२॥
भालिनी छन्द अवतरति न यावद्वतिमत्यन्नवेगादनवमपरमावत्यागदृष्टान्तदृष्टिः झटिति मकल भावग्न्यदीय विमुक्ता
म्वमियमनुभूतिम्तावदाविभूट ॥२६॥ जिनन काल गद नैतन्य द्रव्य का प्रत्यक्षम्प में जानना है, उतने काल नक, उमी ममय. महज है। अपने ही परिणमनम्प अनुभूति होगी। वह अनुभूनि. गद चतन्यरूप में भिन्न जो द्रव्यकम. भावकम, नोकर्म संबधी समस्त गणम्थान-मागंणास्थानरूप. गग-द्वेष-मोह इत्यादि बहत मे विकल्प अथवा भावरूप परिणाम है. उनमें मया हित है ।
भावार्थ जितने भी विभाव परिणाम. विकल्प अथवा मन-वचनउपचार में द्रव्य-गण-पयांय भद. उत्पाद-व्यय-ध्राव्य भद है. उनके विकल्पों में रहित शद्ध चेतना मात्र के. आम्बादम्प ज्ञान का नाम अनुभव कहा है।
शद्ध चैतन्य मात्र में भिन्न ममम्त द्रव्यकम---भावकम नोकर्म आदि भावों का न्याग कि यह ममम्न झट है. जीव का स्वरूप नही, जिम समय तथा जितने ममय मा जो प्रत्यक्ष आस्वादरूप ज्ञान है उमको दृष्टान्त से समझाते है। कोई पुरुप धोबो के घर में अपने कपड़े धान में पराया कपड़ा ले आया और उसका वैसे ही. बिना जान पहन कर अपना जान लिया। बाद में उस कपडं के मालिक ने कांना (निमान दिखा कर कहा कि यह