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समयसार कलर टीका उसकी सता को (गुर परिणामों के प्रगट होने से) मूल से नाश करता
संग-पूर्व बनाते सो तो संगीत कला प्रकासे,
नवल रोषि ताल तोरत उचारिके। निकित प्रावि अष्टभंग संग-सबागोरि, समता प्रलाप पारि करे स्वर भरिके ।।
निबंरा नाव गाजे म्यान मिसंग बाजे, पायो महामन में समापि कि करिके। सत्ता रंगभूमि में मुक्त भयो तिहूं काल, माचे भुवि मरमान स्थान परिके ॥३०॥
॥इति सप्तम अध्यायः ॥