________________
२२
समस्या को देखना सीखें
है । आज का हिन्दुस्तान राजतन्त्र द्वारा शासित नहीं है । यहाँ न हिन्दुओं का राज्य है, न मुसलमानों का और न किसी अन्य जाति या सम्प्रदाय का । यह जाति-निरपेक्ष और सम्प्रदाय-निरपेक्ष राज्य है । इसमें सब जातियों और सब सम्प्रदायों को अपने विकास का समान अवसर और समान अधिकार है । वर्तमान संदर्भ
वर्तमान में धर्म-सम्प्रदायों की सत्ता प्राचीन युग जैसी प्रभावी नहीं है । जातीय बन्धन भी शिथिल हो चुके हैं। आज शक्ति राजनीति में केन्द्रित है । फलतः राजनीतिक दल सर्वाधिक शक्तिशाली हैं । कांग्रेस, समाजवादी दल, साम्यवादी दल-ये आरम्भ से ही सर्वसमाहर्ता थे । इनमें सभी सम्प्रदायों और जातियों के लोग सम्मिलित थे। कुछेक दलों को साम्प्रदायिक दल कहा जाता था । वर्तमान चुनाव ने इसे असत्य प्रमाणित कर दिया। दिल्ली तथा अन्य क्षेत्रों में मुसलमानों का आशातीत समर्थन प्राप्त हुआ।
सम्प्रति जो राजनीतिक दल हिन्दुस्तान के शासन-सूत्र का संचालन कर रहे हैं, वे अद साम्प्रदायिक और जातीय-बन्धन से मुक्त हैं। इसी स्थिति के संदर्भ में 'हिन्दु' शब्द को संकीर्ण सीमा से निकालकर व्यापक भूमिका में प्रतिष्ठित कर देना चाहिए ।
हिन्दु शब्द के प्रति एक दूसरे दृष्टिकोण से भी विचार किया जा सकता है । जिस निमित्त ने इस राष्ट्र को 'हिन्दु' शब्द की संज्ञा दी थी, वह निमित्त ही अब निःशेष हो चुका है। संस्कृत व्याकरण के अनुसार निमित्त के अभाव में नैमित्तिक का अभाव हो जाता है । हिन्दुस्तान का विभाजन हो जाने के पश्चात् सही अर्थ में 'हिन्दु' देश कहलाने का अधिकारी पाकिस्तान है । सिन्धु नदी उसी के भू-भाग को अभिसिंचित कर रही है | किन्तु इस स्थित्यन्तर के बाद भी वर्तमान हिन्दुस्तान ने अपना अधिकार या निमित्त खोया नहीं है । सिन्धुनद उसी के अधिकार-क्षेत्र में है । अतः उद्गम की दृष्टि से 'हिन्दु' कहलाने का उसका अधिकार पूर्णरूपेण सुरक्षित है। ज्वलंत प्रश्न
इस राष्ट्र को अभिधा देने वाले दो शब्द हैं. भारत और हिन्दुस्तान । जिन शब्दों में हिन्दुस्तान के समस्त नागरिकों के समाहार की क्षमता हो, वैसे शब्द दो ही हो सकते हैं... भारतीय और हिन्दु । भारतीय शब्द का प्रयोग प्रचलित है । इस एक शब्द से काम भी चल सकता है । किन्तु हमारे सामने काम चलाने का प्रश्न नहीं है । प्रश्न है...-'हिन्दु' शब्द से लिपटे हुए विष के प्रक्षालन का । प्रश्न है-उससे सम्पृक्त संकीर्ण जातीय आस्था को तोड़ने का । प्रश्न है---उसमें आरोपित घृणा के उन्मूलन का । प्रश्न है-हिन्दु और मुसलमान इस शब्द-संश्लेष के विश्लेषण का । ये सारे प्रश्न हिन्दु शब्द को नया अर्थ देने पर ही समाहित हो सकते हैं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org