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सभ्यता और शिष्टाचार
चंडालिन बोली- 'मैं अपने पति को अपने घर ले जाना चाहती थी और ये चल नहीं रहे थे, इसलिए लड़ाई हो गई ।'
'तुम अपने घर क्यों नहीं जा रहे ?' न्याधीश ने पूछा ।
वह बोला- 'महाशय ! मैं इसका पति नहीं हूं, तब इसके घर कैसे जाऊं ?' न्यायाधीश - 'क्या यह तुम्हारा पति है ?'
चंडालिन - 'पहले था, अब नहीं है ।'
न्यायाधीश—पहले था, अब नहीं है—इसका अर्थ ?'
चंडालिन – 'जब तक इसके घट में चंडाल था तब तक यह मेरा पति था । अब इसके घट से चंडाल निकल गया है, इसलिए अब यह मेरा पति नहीं है ।'
क्रोध की विफलता के सूत्र
जो क्रोध नहीं करता, वह महान् होता ही है किन्तु वह भी महान् होता है, जो क्रोध को विफल कर सकता है ।
क्रोध की विफलता के चार सूत्र हैं:
१. जहां क्रोध आए वहां से उठकर एकान्त में चले जाना ।
२. मौन हो जाना ।
३. किसी काम में लग जाना ।
४. एक-दो क्षण के लिए श्वास को रोक देना ।
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