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चिरसत्यों की अनुस्यूति
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वहां अनन्त परमाणुओं का स्कन्ध भी समा सकता है। रसायनशास्त्र के अनुसार एक तोले बुभुक्षित पारद में सौ तोला स्वर्ण समा सकता है । आकाशवाद की इस रहस्यपूर्ण पद्धति पर एडिंगटन ने इन शब्दों में प्रकाश डाला था - 'मनुष्य शरीर के सारे खोखले स्थानों को निकाल दिया जाए और शेष प्रोटोनों और इलेक्ट्रोनों को एक जगह इकट्ठा कर लिया जाए तो छः फुट और ढाई मन का मनुष्य एक छोटे-से बिन्दु का रूप ले लेगा — इतना छोटा बिन्दु कि आप उसे अणुवीक्षण यंत्र से ही देख सकेंगे ।'
विश्व के सभी प्रकार के प्राणियों को इस प्रकार बिन्दुओं में बदल दिया जाए तो वे सब-के-सब हमारे पानी पीने के गिलास में समा सकेंगे। एक हाथी पूर्व की ओर मुंह करके खड़ा है और एक हाथी का बच्चा पश्चिम की ओर मुंह करके हाथी की सूंड और दूसरे पैर के बीच में खड़ा है। इस हाथी और उसके बच्चे के शरीर के परमाणुओं को मींजकर एक-दूसरे में मिला दें तो केवल इतना द्रव्य रहेगा, जो एक सूई के छेद से निकाला जा सके । सभी पदार्थों के अवयवों का यही हाल है । यदि समूचे संसार के पादर्थों को मींजकर हम इन अणु-परमाणुओं को एक-दूसरे में मिला दें तो हमें एक छोटी नारंगी के बराबर की चीज़ मिलेगी ।
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