Book Title: Samasya ko Dekhna Sikhe
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 223
________________ नैतिक शिक्षा का उद्देश्य नैतिक बनने की प्रक्रिया. विद्यार्थी को अनैतिक धारणाओं से बचाना, उसमें नैतिकता के प्रति आकर्षण पैदा करना व नैतिकता के ज्ञान को संस्कार में बदलना संस्कार केन्द्र का काम है । इच्छा पर बुद्धि का नियंत्रण स्थापित किए बिना आदमी नैतिक नहीं बन सकता । कुछ लोग बुराई इसलिए करते हैं कि उन्हें बुराई के परिणामों का ज्ञान नहीं है। कुछ लोग बुराई के परिणामों को जानते हुए भी बुराई करते हैं। उसका कारण यह है कि उनकी इच्छा पर बुद्धि का नियंत्रण नहीं है। बुराई को छोड़ने की पूर्ण प्रक्रिया यह है कि पहले बुराई के स्वरूप को, उसके परिणामों को जाना जाए, फिर अभ्यास के द्वारा इच्छा पर या इन्द्रिय और मन पर बुद्धि का नियंत्रण स्थापित किया जाए । यह असंभव प्रक्रिया नहीं है । मनुष्य ने अच्छाई की जितनी मात्रा प्राप्त की है, वह इसी प्रक्रिया से की है । Jain Education International For Private & Personal Use Only २०९ www.jainelibrary.org

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