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समस्या को देखना सीखें
सूराचार्य ने कहा-यही तो मैं कहना चाहता हूं कि आप शासक हैं, दर्शकों की सूक्ष्मताओं को आप क्या जानें ? जिन दुकानों पर आपका अधिकार है, उन्हें भी आप एक नहीं बना सकते तो भला जन-रुचि के विभिन्न स्रोतों को एक कैसे कर सकोगे ?
राजा चिन्तन की गहराई में डुबकी लगाए बिना नहीं रह सका । सब दार्शनिक अब अपने-अपने विचार-प्रसार में स्वतंत्र थे ।
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