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युवकशक्ति : संगठन
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पंगु जैसा योग होता है। अनुभव देखता है, पर चल नहीं सकता । शक्ति चलती है पर देख नहीं सकती । अनुभव पंगु है, शक्ति अंधी है । यदि ये एक-दूसरे को सहारा दें तो फिर इष्ट दूर नहीं रहता ।
युवक न रुकें, न ठिठकें, वे चलें पर उनकी गति के साथ अनुभव की लौ प्रज्वलित रहे, यही वांछनीय है ।
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