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समस्या को देखना सीखें
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है । यदि उसे लोकतंत्र से अलग कर दिया जाए तो लोकतंत्र का अर्थ होगा निरंकुश राज्य । स्वतंत्रता में अमोघ आस्था रखने वाला आक्रान्ता कैसे होगा ? चिनगारी जो है, वह कभी भी अग्नि का रूप ले सकती है ।
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प्रामाणिकता
दूसरों के प्रति सच्चा रहना प्रामाणिकता तो है किन्तु यह भाषा कभी भी मुझे आकृष्ट नहीं कर सकी । प्रामाणिकता की जो परिभाषा मुझे आकृष्ट कर सकी, वह है अपने प्रति सच्चा रहना । जो दूसरों का बुरा करने में अपना बुरा देखता है, वह बुराई से बच सकता है, पर-निरपेक्ष दृष्टि से प्रामाणिक रह सकता है । जिसकी सचाई का आधार व्यवहार की पृष्ठभूमि होता है, वह तब सच्चा रहता है, जब कोई दूसरा देखता है । वह तब सच्चा रहता है, जब प्रकाश में होता है । अकेले में और अंधेरे में जो सचाई प्राप्त होती है, वह अपने पर ही आधारित हो सकती है ।
लोकतंत्र का सौन्दर्य
जो अपने प्रति सच्चा नहीं होता, वह राष्ट्र के प्रति कभी भी सच्चा नहीं होता । कई आदमी राष्ट्र की भलाई के लिए सच्चे होते हैं और कई अपनी भलाई के लिए । सचाई का बीज हर मनुष्य में होता है ।
वह निमित्त का निमित्त पाकर अंकुरित हो उठता है। जो अपनी आंतरिक प्रेरणा से अंकुरित होता है, वह परिस्थिति से प्रभावित नहीं होता। बाहरी प्रेरणा से अंकुरित होने वाले के लिए यह निश्चित भाषा नहीं बनाई जा सकती कि वह परिस्थिति से प्रभावित नहीं होता, पर प्रामाणिकता लोकतंत्र का सौन्दर्य तो है ही, फिर चाहे वह किसी भी निमित्त से प्रस्फुटित हो ।
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