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अणु-अस्त्र और मानवीय दृष्टिकोण
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या शान्ति की दिशा में प्रयत्न करने वाले शायद मिलना नहीं जानते । वे किसी न किसी बहाने पृथक् होकर चलते हैं । हिंसा में अपूर्व मेल होता है । उसकी शक्ति तत्काल एकत्रित हो जाती है । हमें अहिंसा की शक्ति को संचित करना है। निःशस्त्रीकरण की दिशा में कोई राष्ट्र पहल करने को तैयार नहीं है | पूर्ण निःशस्त्रीकरण सर्वथा वांछनीय होते हुए भी सम्भव है तंत्र के लिए व्यावहारिक न हो किन्तु अणु-अस्त्र जैसे मानव-जाति के प्रलयकारी अस्त्रों के निर्माण तथा संग्रह का उत्सर्ग करना अनिवार्य है । इस दिशा में जो पहल करेगा, वह मानवता का सबसे बड़ा पुजारी होगा ।
युद्ध की कल्पना करना बहुत धृष्टता की बात है। किन्तु युद्धकाल में भी युद्धस्थली से अतिरिक्त क्षेत्र को प्रभावित करने वाले अस्त्रों के निर्माण और प्रयोग पर एक अन्तर्राष्ट्रीय नियंत्रण हो और यदि वह मानवता की अखण्डता के आधार पर हो तो वह विकास का एक बहुत बड़ा चरण होगा ।
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