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समस्या यानी सत्य की अनभिज्ञता
इस दुनिया में सबसे बड़ी समस्या है सत्य को न जानना । सारी कठिनाइयों और समस्याओं का मूल है सत्य को न जानना । आदमी यदि सत्य को जान लेता तो कोई समस्या नहीं होती । दुनिया में वस्तुतः कोई समस्या है ही नहीं, केवल सत्य की अनभिज्ञता ही समस्या है ।
सह अस्तित्वः सह अव स्थान
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अभी रात है, किन्तु फिर भी प्रकाश देख रहा हूं। रात में भी बिजली से प्रकाश जगमगा रहा है । प्रकाश और अन्धकार दोनों विरोधी युगल हैं किन्तु इनमें नितान्त विरोध नहीं है । दोनों एक साथ आ जाते हैं । सह अस्तित्व और सह-अवस्थान दोनों ही जरूरी हैं । स्याद्वाद विरोधी तत्त्वों के सहावस्थान की व्याख्या करता है । दो विरोधी बातों का एक साथ स्वीकार ही है स्याद्वाद और अनेकान्त । अनेकान्त और स्याद्वाद का फलित है सह-अस्तित्व ।
सह-अस्तित्व सत्य से फलित होता है किन्तु इस सत्य को पाने में अनेक कठिनाइयां हैं । मोह की कठिनाई है, संस्कारों की बाधा है और सबसे प्रबल कठिनाई है पकड़ या आग्रह की । ये व्यक्ति को सत्य तक पहुंचने नहीं देते । मनुष्य की बात छोड़ दें, कुत्ते कभी मोह हो जाता है और झूठे व्यामोह में वह फंस जाता है। एक धोबी के दो औरतें थीं और वे आपस में बहुत झगड़ती रहती थीं । उसी धोबी के घर पर शताबा नाम का कुत्ता रहता था । जब दोनों पत्नियां आपस में झगड़तीं तो एक दूसरे को 'शताबा की रांड ' कहकर गालियां देतीं और मारपीट करतीं । इन झगड़ों में कुत्ते को रोटी नहीं डाली जाती और वह भूख से अधमरा हो गया ।
एक दिन दूसरी गली का कुत्ता उधर आ निकला और शताबा की हालत देखकर बोला – “मित्र ! यहां भूख से क्यों मर रहे हो ? मेरे साथ दूसरे मुहल्ले में चलो, वहां भरपेट भोजन मिलेगा ।" शताबा ने कहा- " मित्र ! यहां रोटी की कठिनाई ज़रूर है लेकिन दो-दो पत्नियों को छोड़कर कैसे जा सकता हूं ?"
केवल गालियों में कुत्ते का नाम आने मात्र से वह कुत्ता अपने को दो-दो औरतों का स्वामी मान बैठा था । क्या यह व्यामोह नहीं ? एक नाम के व्यामोह में कुत्ता भूखा
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