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समस्या को देखना सीखें
को समझकर भी जो विरोधी व्यवहार नहीं करेगा, वही धार्मिक है । जिस व्यक्ति के मन में धर्म है, वह समझकर भी वैसा व्यवहार नहीं करेगा । जिस दिन दूसरों के मनोभावों से प्रभावित होकर अपने मानेभाव व्यक्त नहीं करेंगे, दूसरों के पैरों से प्रभावित होकर नहीं चलेंगे, तब समता और समभाव प्रकट होगा | अध्यात्म का द्वार खुलेगा और मन को शान्ति मिलेगी।
जो सारे साधन होते हुए भी बिलखते-बिलखते जीते हैं, घृणा, ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, क्रोध आदि अवगुण पालकर अपने जीवन में घुन लगा लेते हैं, वे सचमुच जीना ही नहीं जानते । जो धार्मिक नहीं होता, वह जीने की कला नहीं जानता । धर्म के मर्म को समझने वाला ही सुख से जी सकता है ।
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