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समस्या को देखना सीखें
मिथ्या है । उन्होंने सत्य को समझा नहीं है, उनका दृष्टिकोण सम्यक् नहीं बना है।
बहिरात्मा का तीसरा लक्षण है- क्रूरता । जो बहिरात्मा होता है, उसमें क्रूरता अधिक पनपती है । उसका आत्मा में विश्वास नहीं होता । जब आत्मा में विश्वास नहीं है तब करुणा कहां से आएगी ? अनात्मवाद में क्रूरता ही पनपेगी ।
जैन साहित्य म राजा प्रदेशी का नाम विश्रुत है । राजा प्रदेशी का जीवन दो भागों में बंटा हुआ था । एक वह समय था, जब राजा प्रदेशी आत्मा में विश्वास करने लगा। जब तक राजा प्रदेशी का आत्मा में विश्वास नहीं था तब तक उसने अनेक क्रूरतापूर्ण कार्य किए । राजा प्रदेशी ने एक बार केशी स्वामी से कहा- एक दिन सिपाहियों ने चोर को मेरे सामने हाजिर किया । कहा जाता है— आत्मा अलग है और शरीर अलग है। मैंने इसकी सचाई का परीक्षण करने का निर्णय किया । तत्काल हाथ में तलवार ली और चोर के दो टुकड़े कर दिए। कहीं आत्मा नहीं दिखी | मैं उसके टुकड़े-टुकड़े करता चला गया पर कहीं से भी आत्मा नहीं निकली। मैंने सोचा- 'आत्मा होती है यह कहना झूठी बकवास है । कोई आत्मा नहीं होती, यदि आत्मा होती तो सामने आ जाती । इतनी क्रूरता बहिर्भाव से ही आ सकती है । अन्यथा आदमी ऐसा परीक्षण कभी नहीं कर सकता। आज भी बहुत से जीवों को अत्यन्त क्रूरता से मारा जाता है । इसका कारण है मनुष्य का बहिरात्म-भाव । अशांति का कारण
बहिरात्मा का चौथा लक्षण है बन्धन की उपेक्षा । जो बहिरात्मा है, वह बन्धन की उपेक्षा करता चला जाएगा । जब फ्रांस के कैदियों को बहुत वर्षों के बाद जेल से मुक्त किया तो बाहर के वातावरण में रहना पसंद नहीं किया। उन्होंने अनुरोध किया- हमें पुनः कारावास में डाल दो । वे कारावास में बहुत आसक्त हो गए। उन्हें वहीं अच्छा लगने लगा । बहिरात्म को बन्धन ही अच्छा लगता है, वह मुक्ति की बात नहीं करता ।
बहिरात्मा का पाचवां लक्षण है- मानसिक अशांति । वह मानसिक अशांति का जीवन जीता है । इस सारे संदर्भ में वर्तमान समाज की समस्या का पर्यवेक्षण करें, सिंहावलोकन करें। लोग कहते हैं- मानसिक अशांति बहुत है । प्रश्न होता है-मानसिक अशांति ज्यादा क्यों है ? आज केवल मानसिक तनाव को मिटाने के लिए दुनिया भर में खरबों रुपये की दवाइयां खाई जाती हैं | क्या दवाइयां मानसिक अशांति मिटा देंगी? जब तक बहिरात्म भाव जिंदा है तब तक चाहे दुनिया भर की दवाएं खा लें, मानसिक अशांति नहीं मिटेगी । क्योंकि मानसिक अशांति उसका परिणाम है । समाधान का सूत्र
हम बहिरात्म भाव को केवल अध्यात्म के संदर्भ में ही न देखें | आज के समाज की समस्याओं के संदर्भ में भी इसका अध्ययन करें । पूछा जाए- आज पूरे विश्व में
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