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समस्या को देखना सीखें
सेना के एक बड़े अफसर का पत्र मिला- "मैं बहुत शराब पीता हूं । स्वास्थ्य बिगड़ गया । लीवर फेफड़ा खराब हो गया है। हार्ट भी कमजोर हो गया । डॉक्टर कहता है- शराब पीओगे तो मर जाओगे | मैं छोड़ना चाहता हूं पर छूट नहीं रही है। आप कोई उपाय बताएं।" उभरती समस्या और परिणाम
सचमुच नशे से आदमी बड़ी विकट स्थिति में चला जाता है । आज नशे का खतरा चरस, गांजा, हेरोइन, ब्राउन शुगर आदि नशीली दवाइयों के रूप में इस हद तक पहुंच गया है कि यह समस्या उग्र रूप से उभर कर आई है । आज इस समस्या ने बाकी सब समस्याओं को पीछे छोड़ दिया है । विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान तो इसके अड्डे बनते जा रहे हैं । इन नशीले पदार्थों की तस्करी भी इतनी बढ़ गई है कि रोज अखबार के पृष्ठ इन्हीं खबरों से भरे रहते हैं । करोड़ों-करोड़ों रुपयों की हेरोइन एवं अन्य नशीले पदार्थ सीमाओं पर पकड़े जाते हैं । अब तो अंतर्राष्ट्रीय माफ़िया गिरोह भी हो गए है जो बड़ी ही सतर्कता से यह तस्करी करता है ।
मद्रास की महिलाओं ने एक प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्यपाल के पास जाकर एक ज्ञापन दिया कि शराब के कारण हमारे घर बर्बाद होते हैं अतः शराब को जैसे-तैसे बन्द किया जाए । पुरुष लोग घर की चिन्ता भी नहीं करते वे मस्ती में पीते चले जाते हैं। घर-परिवार के प्रति महिलाओं का ध्यान ज्यादा रहता है । अतः महिलाएं ज्यादा परेशान
- इस समस्या पर कई स्वयंसेवी एवं धार्मिक संस्थाओं का भी ध्यान गया है । अणुव्रत आन्दोलन में एक नियम है कि मैं मादक द्रव्यों का सेवन नहीं करूंगा लेकिन नशा केवल कहने सुनने से नहीं छूटता है । उसके लिए तो प्रयोग करने होंगे ।
नशे के ग्लानि या अरुचि पैदा की जाती है । इस दृष्टि से कान का उपयोग किया जाता है । जैसे कान हमारे सुनने के काम आते हैं लेकिन इसके और भी उपयोग हैं । कान हमारे जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं । गर्भस्थ शिशु और बच्चे के कान का आकार समान होता है। कान में लाखों लाख स्नायु हैं जो कि हमारे सम्पूर्ण शरीर के साथ जुड़े हुए हैं । मस्तिष्क से लेकर पैर तक एक जाल बिछा हुआ है | कान का संबंध पेट से जुड़ा हुआ है । पाचन शक्ति के कमजोर होने पर कान का उपयोग होता है । महिलाएं कान में बालियां इसीलिए पहनती हैं कि इससे आवेग पर नियंत्रण रहता है ।
कान का एक उपयोग नशे की वृत्ति को छोड़ने में भी है । इसका दूसरा नाम है अप्रमाद केन्द्र । कान आदमी की जागरूकता का केन्द्र है । सब जानते हैं कि आदमी से यदि भूल हो जाती है तो वह कान पकड़ता है। मतलब साफ है कि मेरी भूल हो गई है.-- आगे से ऐसी भूल नहीं करूंगा ।
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