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समस्या को देखना सीखें
परन्तु शान्त क्या हुआ ? जो उभार आया था, वह मिट गया । फोड़ा हुआ, उपचार किया, मिट गया । शमन के लिए यही बात है । सुख के दो रूप हैं । वह भौतिक भी है और आध्यात्मिक भी । मकान, वस्त्र, रोटी— जिनसे सुख की अनुभूति होती हैं वे भौतिक हैं । आज इसी को प्रधान सुख मान लिया गया है । परन्तु हमारे महर्षियों ने, आचार्यों ने इसे व्याधि माना है । हमें भूख लगी है, समझ लीजिए— व्याधि उत्पन्न हो गई है। भोजन किया, व्याधि मिट गई । बुखार आया, दवा ली और बुखार दूर हुआ। इसमें सुख की कैसी अनुभूति हुई ? हां, उपकरणों द्वारा सुख की अनुभूति अवश्य होती
आज मनुष्य का मानसिक तनाव इतना बढ़ गया है कि शायद इतना पहले कभी नहीं था । अमेरिका आज की दुनिया का सबसे धनी देश है । वहां पर खाने, पीने, पहनने की कोई कमी नहीं है। घी-दूध की नदियां बहती हैं । गेहूं जानवरों को खिलाया जाता है। इसके उपरान्त भी वहां मानसिक तनाव के रोगियों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है । यदि बाह्य उपकरण ही सुख के साधन होते तो शायद ऐसा नहीं होता । मनुष्य के पास आज समय का बहुत अभाव हो गया है। वैसे तो भाव सभी चीज़ों का बढ़ गया है परन्तु समय का भाव सबसे अधिक बढ़ गया है । गर्मी-प्रधान देश होने के कारण भारत के लोग अधिक आलसी भी होते हैं, फिर भी समय की कमी उन्हें सदैव सताती है। यह भी एक मानसिक असंतुलन है । अमेरका में मानसिक तनाव बाह्य उपकरण की प्रचुरता के कारण ही अधिक फैला है । फ्रांस में भी मानसिक तनाव के रोगियों की संख्या इतनी बढ़ी है कि वहां के लोग यह अनुभव करने लगे हैं कि यदि आध्यात्मिकता का जीवन में प्रवेश नहीं हुआ तो बिना किसी एटम बम या हाइड्रोजन बम के ही हम सब समाप्त हो जाएंगे। सीमा है पागलपन की
__ आज का पढ़ा लिखा आदमी अधिक असंतुलित हो गया है। जिस प्रकार शरीरिक सतुलन बिगड़ने पर मनुष्य के शरीर में गड़बड़ रहती है, उसी प्रकार मानसिक संतुलन बिगड़ने पर लोग घबराए-से रहते हैं। वैसे तो प्रत्येक मनुष्य में कुछ न कुछ पागलपन अवश्य होता ही है, परन्तु बहुत पढ़े-लिखे लोग अधिक पागल देखे जाते हैं । बड़े-बड़े दार्शनिकों को कभी-कभी यह भी याद नहीं आता है कि उन्होंने भोजन किया है या नहीं? इसके बारे में वे अपने नौकरों से पूछते हैं। वह पागलपन विकास के लिए बहुत ही आवश्यक होता है परन्तु उसकी भी एक सीमा है । यदि मेवाड़ के पहाड़ों की सीमा न होती तो क्या उदयपुर वहां होता? जयसमन्द की सीमा नहीं होती तो क्या गुजरात होता ? वे दोनों ससीम हैं; इसीलिए उदयपुर भी है, गुजरात भी है।
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