________________
समस्याएं, सरकार, अनशन और आत्म-दाह
समस्या का अर्थ है, समाज और जीवन का योग । जहां सामाजिकता है, जीवन की सामुदायिक पद्धति है और मनुष्य प्रकृति पर निर्भर है, वहां समस्याओं का होना अनिवार्य है । मनुष्य में ज्ञान है, स्मृति है । वह वर्तमान में जीता है, अतीत का अनुसन्धान करता है और भविष्य की कल्पनाएं करता है । इसीलिए वह वर्तमान समस्याओं का प्रतिकार करता है और संभाव्य समस्याओं के प्रतिकार की योजना बनाता है । समस्या प्रतिकार का संयंत्र
सरकार और क्या है ? समस्याओं के प्रतिकार का सबसे बड़ा संयंत्र । पौराणिक कहानी के अनुसार देवेन्द्र ने सब देवों का तिल-तिल भर रूप लेकर तिलोत्तमा का निर्माण किया और उसके द्वारा सुन्द-उपसुन्द नामक दैत्यों का अन्त किया। समाज और क्या करता है ? व्यक्ति-व्यक्ति की स्वतन्त्रता का अंश लेकर सरकार का निर्माण करता है और उसे समस्याओं के समाधान की शक्ति देता है । इसीलिए इस तिलोत्तमा से जनता अपेक्षा रखती है कि वह समाज की समस्याओं का समाधान करे । मूलभूत समस्या
जैसे-जैसे काल का चक्र आगे घूमता है, वैसे-वैसे समस्याएं भी अपना परिधान बदल लेती हैं। आज की समस्याएं अतीत की समस्याओं से कुछ भिन्न हैं । आज मूल भूत समस्या है समाज का जागरण । खाद्य की कमी, सांप्रदायिक तनाव, छात्रों का आन्दोलन, दायित्व-हीनता आदि-आदि समस्याएं नहीं । वे तो मूल समस्या-वृक्ष के पत्रपुष्प हैं । नींद में रोग नहीं मिटता, किन्तु उसका कष्ट मिट जाता है । यही दशा पुराने समाज की थी । उसमें समस्याएं थीं पर उनका कष्ट नहीं था । उनके अनुभव की क्षमता नहीं थी । आज के समाज की वह क्षमता है, इसीलिए उसकी कष्टानुभूति बड़ी तीव्र है। इस समय थोड़ा-सा रोग भी असह्य हो उठता है । बहुत बार सरकार की असफलता का कारण भी यही बनता है कि जागृत समाज के प्रति उनका व्यवहार जागरूकतापूर्ण नहीं होता।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org