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समस्या को देखना सीखें
प्राणी डरता है दुःख से
एक बार भगवान् महावीर से पूछा गया— “भंते ! किं भया पाणा ?' 'भगवन् ! प्राणी किससे डरते हैं ?'
'दुखभया पाणा'-दुख से । 'दुक्खे केण कडे ?'-दुख का कर्ता कौन है ? ‘पमाएणं'–अपना ही प्रमाद ।' 'उसका नाश कैसे होता है ? 'अप्रमाद से ।'
हमारे मन में प्रमाद नहीं होगा तो दुःख का कारण नहीं हेगा । दुःख का कारण नहीं होगा तो भय भी नहीं होगा।
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