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बोल्या-भाइसाहीब ! फकतो उड गइ हे । हमारे तो चोखे चावल छ । तुमारे पास फक छ । उडावणी होवे तो उडा देवो । नही उडावणी होवे तो तुमारी इछा । इत्यादिक माहोमांहि खेंचातान हो गइ ।
__ पीछे कहणे लगे-तुम इहां आवो । अंबरसिंघजी इहां रहेगा । सो चरचा करके जो खरी जाणांगे सो धारांगे । मुखे तो इम कहेया । परंतु मन में इछा मत कदाग्रह करणेकी छे । अरु उपर सें मीठीया वाता करके स्यालकोट में चरचा करणी थाप लेइ सो हम चौमासे उठे स्यालकोट में गये । परंतु चरचा घणी होइ । कुछ 'सम होइ नही । फेर हमने तथा हमारी तरफ के भाइयाने मत कदाग्रही जाणीने हम स्यालकोटते चले आयें । परंतु हमारे तर्फके तो पक्के हमारे हो गये । अरु स्यालकोटीए तो आपणे मत में रहे । जहां जहां उनाकि सरधावाले थे तहां तहां चीठीयां भेजके तथा साधाने जायके आपणे श्रावकां को पक्के करे । पीछे एसी परुपणा करी-बूटेराय कूजरावाले तथा रामनगर बैठा रहे तो उसकी मरजी । जे कर हमारे खेत्रामें आवेगा तो वेष खोस लेवागें । इत्यादिक घणी निंद्या विकथा करणे लागे ।।
जब एह चरचा उठी हे तब में 'एकलाइ था । "दूजा साधु मेरे साथ कोइ नही था । चेले चार उस मत मे करे थे । दो कोटले वीचो होय थे । एक खरउका बनीया था । एक पंजाव देश का जाट था सो एक तो मर गया था । दो मेरे साथ सों जुदे होय के विचरे थे तथा बीजे के चेले होय के विचरे थे । जाट तो भेख छोड के नठ गया । मे एकलाइ विचरता था । फेर एक हमारे टोले का लालचंदजी साधु हुता । उसका चेला होया था । वैरागसेंती दीक्षा लेइ थी । पंद्रे सोले वरस की उबर में । सो गुरु को छोड के मेरे पास आय गया । मेरे साथ चोखा विहार करके दोय चार वरस विचरया । मेरे पासो सूत्र पढ्या । फेर उसकी जोबन अवस्था आयें । तब उसकु कामभोग जागे । तिवारे उसका चित भेख छोडने का होये गया । परंतु हमारा मांहोमांहि सनेह
१ समाधान । २ स्वयं । ३ वेष खेंच लेंगे । ४ अकेला ही था । ५ दूसरा । ६ में । ७ शुद्ध ।
मोहपत्ती चर्चा * ११