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सरधा खोटी होवेगी तो तुम छोड देजो । परंतु इस बात को नितांरोतो सही । कोण सच्चा हे अरु कोण जुठा हे ? तिवारे देविसहायको अंबरसीरीए बोले- हमारे साधु तो इहां हे तुम बुटेरायकों बुला लेवो । इहां चरचा हो जावेगी । जुठ सच्च का निरना हो जावेगा । तब देवीसहायने कह्या- अछा लिखो स्टांप के कागत उपरे । दो साधु तुमारे तथा दो साधु हमारे तथा दो पंडित ब्राह्मण तुम बठाल लेजो दो ब्राह्मण हम बठाल लेवांगे । परंतु च्यारे पंडित शब्द शास्त्र कें जाणकार होवें । तथा चार पांच पुरुष शहर के साखी रुप बैठेंगे । तथा दो सरकार के सिपाइ बिठाल लेणे । किस वास्ते ? कोइ दंगा 'कदागरा कर सके नहि । तुम एह लिखत करो फेर हम स्वामीजी को बुलाय लेवांगे । तिवारे बोले - एह बात खरी इस परषदामै जौणसा साचा सो साचा जो जूठा सो जूठा ।
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देवीसहायने कह्या - एह बात बोत अछी है । तुम कागत लिखो तब कण लगे- लिखो । तिवारे लिखो लिखो करी जावे । परंतु कागत लिखे नही । कोइ इम करतां चार पांच दीन बदीत होय गयै एह झगडा रगडा अंबरसर में होय रह्या था । परंतु हमारे तांइ कुछ खबर नही थी इस चरचा की । अरु हम बी वीचरदें २ लाहोर मध्ये आय गयै । अरु देवीसहायकों हमारी खबर पडी । उसनें हमारे कुं बुलाया तो हम अंबरसर को विहार कर दीया । तिवारे देवीसहायने कह्या - बुटेरायजी लाहोर ते विहार करकें अंबरसरको आय है न । एह बात अमरसिंघने सुनके लाहोर को विहार कर दीया । तब देवीसहायने कह्या अमरसिंघ विहार करण लगे हैं अरु बूटेरायजी इहां को आवदे है न । तिवारे कहीण लगे बूटेरायजी बडे है तिनांके सामणे अमरसिंघजी चले है । सो अमरसिंघजी हमारे को रस्ते मे मिल्या । हमको अमरसिंघजीने कहा- हम तो तुमारे पास आय थे तुम विहार कर आय हो । हमने कह्या- हम तुम्हारे पास आय थे तुम तो चले आय हो । इत्यादिक सुख पीयार की बातां करके अमरसिंघजी लाहोरकों तुर ' गये । हम अंबरसरको चले गये ।
परंतु देवीसहायने कह्या अमरसिंघजी नठ गया । देवीसहाय के परेरया होया चार पांच भाइ मील के लाहोर गये । तिहां अमरसिंघ ने
१ कदाग्रह । २ चले गये ।
मोहपत्ती चर्चा * २८