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अपीतु नही । अरु जोणसे मत कदाग्री हठग्राही है । तिनाको तो सर्वज्ञ पिण प्रतिबोध न सके । तो बीजानो तो कहिवो किसो ? ___अरु जोणसे भव्य जीव मेरे ते अल्प ज्ञानी है तथा घणे पंडित है परंतु काल प्रभावते माडरी प्रवाहमां पडी गये है । स्वलिंग अथवा अन्नलिंग की सोजी कुछ रही नही । तथा सिद्धांतो विषे उपयोग दीयं नही । जेकर उपयोग देवे तो तत्काल जाण लेवे । तिनाके समजावा सारु सिद्धांतोके पाठ आगे लिखै हइ । ते विचारतो । विचारीने स्वलिंग अंगीकार करजो । अने सिद्धांतो के पाठ परउपगार के वास्ते श्री साधूजी बूटेरायजीने लिखे हे ते मत पख छोडके विचार्यो ।।
मोहपत्ती चर्चा *
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