________________
हे ? जेकर ते कहेगें-एह बात अछी हे । तब उनाको पूछांगे-अछी बात हे तो तुमारे को करी जोइए । तुम पिण तपेगछके हो ! तुम बी कन पडाय के कना बीच छेक करायकें कना विषे मुखपत्ति घालके कथा करो । जेकर मान लेवें तो अछी बात हे । एह चर्चा समहोइ जावेंगी तो पिछे बीजी चर्चा पूछागें । जेकर तिनाने मुखपत्तिकी बात नही मानी तो इनाको निन्हवा विषे स्थाप देवांगे । कहेगे अमदाबाद के सर्व संघने इनाको निन्हा विषे स्थाप दीने. हे' | कीस वास्ते थापे हे ? ए पूर्व आचार्य की धारना नथी मानते । इनाको संघने गछ बाहार कीया हे । एह बात अब किम बणे ? इनाके पखी शेठ होये गये हे । अब चलो प्रेमेभाइ पास चलीये । उहां जो बात बणे सो खरी ।।
. ते आपस मे मिलके सेठ कने आय बेठे । तिहां ओर बी केतलेक भाइ शेठ पास बेठे थे । तिनामे एक भाइ का नाम धौलसा था । तिसको बोले- भाई धौलसा ! तेरी पेंतालीस वरस की उमर होइ हे । तिना प्रते धोलसाभाइ बोल्या-मेरी उमर तो पंचास बरस की होइ हे । प्रेमेशेठ महा चतुर विचक्षण सरकार दुवार में न्याय इनसाफ करनेवाला, उनाकी बात का शेठने मुदा जाण लीया । तिना प्रते शेठ बोल्या- तुम धोलसा के क्या पुछते हे ? मेरी उमर साठ बरसा की हे । जौणसी बात पुछणी होवे ते मेरे को पूछो । तिवारे ते बोले-शेठजी ! आपकी सारी उमर में कोई साधु कना बिषे मुखपत्ति घाले बीना कथा करता देख्या ? तिवारे शेठ बोल्या-मेंने तो कोई नही देख्या । मेरा पिता सितेर बरस का था । ते पिण कहे था-मे नही देख्या कोइ साधु मुखपत्ति कना बीच घाले बिना कथा करता देख्या नही । एक बूटेराय जब का आया हे तब का देखणे मे आया हे तथा मूलचंद वृद्धिचंद पिण नही बांधते । फेर तिनाने कह्या-शेठजी ? हमारी चूक होइ पणि बडे २ आचार्याने मुखपत्ति मुखको बंधके कथा करी हे । ते बात उठावणी जोग नही । तिवारे शेठ बोल्या-भाइ साहब ! इसकाल के आचार्याने तो घणीया आप आपने मेलें समाचारीया चलाइयाहे । ते समाचारीया किसे ते 'हट्टाइ जावे हे ? तिवारे तें बोले-जगत को या बाता तो किसेते हटाइया नही जातीया । पिण अपमे तपेगछका संवेगी कोइ नवी रीत चलावे तिसकोतो सिख देइ १ अटकाई ।
मोहपत्ती चर्चा * ३६