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उत्तमचंदजीके पास गें । उत्तमचंदजी ! जेकर इहां चरचा होवेगी तो तुमारा एक घर है । लोक घणे एकठे होइंगे । जेकर उनाको हम तुम नही २खुलावेगे तो बी बात अछी नही । 'खुलावेगे तो आपणा तुमारा घणा खरच होवेंगा । तथा राग द्वेष उठेगा । साधां की आपस में खिमत खिमावणां करा देवो । एह बात अछी हैं । आपस में सलाह करके हमारे पास आयकें कहेण लगे-स्वामीजी ! अंबरसिंघजी कहेते है - बूटेरायजी के साथ हम चरचा नही करणी । हम तो खीमत खिमावणां करणी है । तिवारे हमने पुछ्या-एह बात अंबरसिंघ करता है के तुम आपणी मतीसें कहेते हो ? तिवारे भाइयाने कह्या - हम अंबरसिंघजीकी जबानी कहेते हां । तिवारे मेने आपणी तर्फ के भाइया को कह्या-तुम अंबरसिंघको पुछो । भाइ कहते है-अंबरसिंघ के भाव चरचा करणे के नही । खिमत खिमावणा के भाव है । एह बात साची है ? तिवारे अंबरसिंघजीने कह्या-हमारे खिमत खिमावणा के भाव है । भावे बूटेरायजी इहां आय जावे तथा मै उहां आय जावागां ।
जब मेंने जाण्यां अंबरसिंघ के ऐसे परिणाम नरम होय गहै तो हमनें खैचा ताण काहे को करणी है । धर्म पावैगा तो जीव आपणी खयउपसमते तथा पुन्नानुबंधी पुन्यते पावे है । एसा हमने विचार के अंबरसिंघ के पास हम गये । अंबरसिंघजी हमारे नजिक उतरे होय थे । एक गलीका अंतरा बिचमै था । में अंबरसिंघ के साथ खिमत खिमावणा कर लीनी । अंबरसिंघ ने हमारे साथ खिमत खिमावणा कर लीनी । दरबे तो खिमावणा हो गइ । भावे तो जेहवा कीसेका परिणाम है तेहवी खिमावणा होइ । भाव तो ज्ञानी जाणे तथा करणेवाला जाणे । हम आपणे ठिकाणे चले आये ।
तिवारें किसेने उनांके सेवकनें एसी बात उडाइ- बूटेरायजी पूज्यके पास आयके खिमा गया है कहेण लगा में चरचा तेरे साथ नही करदां, दुजा कहे भाइ आज कोण पूज्यजी के साथ चरचा करण को समर्थ हे ? हमाने सुण के कह्या-एह बात अछी होइ-जूठे तो सच्चे होय अरु सच्चे तो जूठे होय । तिवारे हमनें विचारया हम तो अंबरसिंघको खिमा आयहां अंबरसिंघ तो आयके हमारे को नहि खिमाया । दुजे दिन अंबरसिंघ १ जीमायेंगे । २. द्रव्य से । ३ परिणाम ।
मोहपत्ती चर्चा * ३१