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विश्व-शांति कारहस्य
वर्तमान समय में प्रबुद्ध और शांतिप्रिय व्यक्तियों का यह दायित्व है कि वे संसार में प्रेम, भाईचारा और शांति की स्थापना में अपनी आहुतियाँ समर्पित करें। यदि संसार सुखमय, शांतिमय और आनन्दमय रहेगा तो इसमें रहने वाला प्रत्येक इन्सान, प्रत्येक प्राणी का जीवन सुख, शांति और आनन्द से परिपूर्ण हो सकेगा। आज अगर दुनिया में कहीं भी त्राहि-त्राहि मचती है, बम विस्फोट होता है, कत्ले आम किया जाता है तो यह न समझें कि यह किसी एक देश में हो रहा होगा, उसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता है। क्योंकि जिस तरह सागर में एक लहर उठती है तो वह वहीं तक सीमित नहीं रहती जहाँ से वह उठ रही है। वह आगे बढ़ती जाती है तब तक जब तक उसको समाप्त होने के लिए किनारा नहीं मिल जाता। उसी तरह संसार के किसी भी देश में घटने वाली घटना का विश्व-व्यापी प्रभाव होता है।
आज के युग में जिस तरह से हिंसा और आतंक का साया बढ़ता जा रहा है, उस साये की चपेट में कोई भी आ सकता है। हम, आप, प्रत्येक समाज, प्रत्येक देश, प्रत्येक पंथ-परम्परा के लोग उसकी चपेट में आ सकते हैं। इसलिए वर्तमान में प्रत्येक धर्म, पंथ-परम्परा और प्रबुद्ध व्यक्ति का पहला दायित्व यही बनता है कि विश्व-शांति स्थापित हो सके, विश्व में और अधिक भाईचारे का
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