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कोई व्यक्ति टेढ़ा शब्द कह दे तो समझना चाहिए ऐसा मेरी परीक्षा के लिए कहा गया है। इससे हमारी शांति और समता की कसौटी होती रहती है। हम संयम में जिएंगे तो मुक्ति हमारे करीब आएगी। और असंयम से जीने पर जन्म-जन्मांतर का कीचड़, भवतृष्णा का कीचड़ हमारे सामने खड़ा ही है। व्यक्ति को जितना जीवन का प्रकाश मिलेगा, जीवन का बोध होगा वह उतना ही मुक्ति की ओर बढ़ता जाएगा।
संयम को अपनाने के लिए ज्ञानतत्त्व से जुड़ना होगा और ज्ञान के लिए धर्म की दहलीज़ पर कदम रखने होंगे। धर्म का अर्थ संयम और संयम का ही दूसरा नाम धर्म है। हमारे कदम संयममय हों। अपनी ओर से इतना ही अनुरोध है। मंगलमय हो।
नमस्कार।
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