Book Title: Mahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 315
________________ निद्रा और स्वप्न से उच्च आत्मा की दशा जाग्रत-अवस्था अथवा जागरूकता कहलाती है। तभी कहते हैं - दुनिया सोवे साधु पोवे- जब सारी दुनिया सोई रहती है तब साधु जागता है, माला फेरता है, जाप करता है, अजपा जाप करता है, भगवान का भजन करता है। दिन में भले ही दुनिया में चला जाए पर रात तो प्रभु के नाम लगा देता है । एक दिन-रात के आठ प्रहर होते हैं - दिन के चार और रात के चार - हर प्रहर तीन घंटे का । शाम को छ: बजे से गिनें तो पहला प्रहर जिसमें सभी जगते हैं, दूसरे प्रहर में भोगी जगते हैं, तीसरे प्रहर में रोगी जगते हैं क्योंकि उन्हें नींद नहीं आती और चौथे प्रहर में योगी जगते हैं। वे सुबह तीन-चार बजे ही जग जाते हैं और आत्म-आराधना के लिए, प्रभु आराधना के लिए आसीन हो जाते हैं। योगी के लिए चौथा प्रहर या कहें कि सुबह का पहला प्रहर - साधना का कहा गया है। इसमें योगी साधना करते हैं और मूर्छित अथवा प्रमादी सोए रहते हैं। हममें से जो भी सूर्योदय के बाद जागते हैं वह क्या धर्म-आराधना करेंगे, क्या प्रभु-भजन करेंगे। ईसाई रविवार को हॉलीडे मनाते हैं। होली-डे अर्थात् पवित्र दिन । वे सप्ताह में छः दिन तो चर्च जा नहीं पाते पर संडे को ज़रूर जाते हैं। मुस्लिम कौम शुक्रवार को होली-डे मनाती है पर हम सातों दिन में से कौनसा दिन होली-डे मनाते हैं ? यह तो अच्छा है कि बच्चों को सुबह जल्दी स्कूल जाना होता है तो बच्चों के साथ माता-पिता भी जल्दी उठ जाते हैं, नहीं तो आठनौ बजे के पहले कोई उठे ही ना । रविवार को देखते हैं कि लोग दस-ग्यारह बजे तक सोये रहते हैं। अरे, एक दिन अवकाश का मिलता है उसमें भी आराम न करें क्या - यह ज़रूर सुनने को मिलेगा। प्रभु भजन कब करेंगे ? इंग्लिश की कहावत है - Early to bed, early to rise, makes a man healthy, wealthy & wise. रात में जल्दी सोओ और सुबह जल्दी उठो । ऐसा करने से बुद्धिमान, स्वस्थ और धनवान होंगे। जो रात में देर से सोते हैं और सुबह देर से उठते हैं वे रुग्ण रहेंगे। रात में देर तक जागने वाला व्यक्ति वात, कफ या पित्त रोग से पीड़ित हो जाता है। शरीर की संतुलन-व्यवस्था चरमरा जाती है। हमें समय पर सोना और सूर्योदय के पूर्व उठ जाना चाहिए। प्रकृति भी जाग जाती है फिर हम क्यों सोये रहें। ३०४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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