Book Title: Mahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 320
________________ मान और अपमान दोनों ही स्थितियों में जो स्वयं को समत्वशील रख लेता है वही व्यक्ति सदाबहार प्रसन्न रह सकता है। इस तरह प्रमाद को दूर करने का पहला उपाय है - प्रसन्न रहने की आदत डालें । प्रमाद को दूर करने के लिए दूसरा काम - प्रत्येक व्यक्ति को प्रातःकाल बीस मिनिट तक योगाभ्यास करना चाहिए । व्यक्ति अगर बीस मिनिट योगाभ्यास और दस मिनिट प्राणायाम कर लेता है तो वह निश्चित ही आलस्य-मुक्त रहेगा। शरीर की जड़ता दूर हो जाएगी। योगाभ्यास से व्यक्ति मेहनती हो जाता है, शरीर हृष्ट-पुष्ट हो जाता है, रक्त संचार दुरुस्त हो जाता है। शरीर का वायु, कफ, पित्त का संतुलन हो जाता है। रोगी व्यक्ति भले ही दवाएँ खाए, पर प्रतिदिन दो-पाँच मिनिट व्यायाम करना शुरू कर दे और धीरे-धीरे समय बढ़ाता जाए तो अवश्य ही उसका स्वास्थ्य जल्दी सुधरेगा । व्यायाम के साथ प्राणायाम करने से प्राणवायु का संचरण शरीर में अधिक होगा और बीमारी में लाभ पहुंचेगा। हो सकता है बीमारी पूरी तरह से ठीक न हो लेकिन योगाभ्यास और प्राणायाम करने वाला पूर्वापेक्षा अच्छी स्थिति में आ ही जाएगा । उसे स्वयं ही महसूस होगा कि उसकी स्थिति में सुधार आया है। उसके घुटनों का, कमर का, पीठ का दर्द कम हो जाएगा, शरीर मज़बूत होगा, खाना-पीना हज़म होने लगता है, सक्रियता भी बढ़ जाती है, मस्तिष्क की स्थिति सुधर जाती है, डिप्रेशन व तनाव में भी कमी आती है। इस तरह शरीर के प्रमाद को दूर करने के लिए योगाभ्यास और प्राणायाम अवश्य करने चाहिए। हाँ, अगर ध्यान में मन लगता है तो इस रास्ते पर भी ज़रूर कदम बढ़ाएँ। ध्यान से मन को शांति मिलती है, मन मज़बूत होता है। व्यक्ति आत्म-जागरूकता की ओर बढ़ता है। अपनी अन्तरात्मा से मिलने के लिए दो कदम आगे बढ़ता है। अगर ध्यान में मन नहीं लगता तो सीधे ध्यान की ओर जाने की अपेक्षा योगाभ्यास और प्राणायाम को साधे । तब कभी-न-कभी ध्यान की ओर मन ज़रूर जाएगा और ध्यान भी सधने लग जाएगा। प्रमाद को दूर करने के लिए तीसरा काम : प्रतिदिन सुबह अपनी छोटीसी डायरी या काग़ज़ में दिन भर में जो काम करने हैं उसकी सूची बना लें। पहले तो दो-चार काम ही याद आएँगे, फिर थोड़ी देर बाद और कुछ याद आएगा, उसे ३०९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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