Book Title: Mahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 308
________________ चाहिए, समझाना चाहिए। तब वे उसे आत्म-ज्ञान के तत्त्व का रहस्य समझाने का प्रयत्न करते हैं। यमराज-नचिकेता के संवाद ‘कठोपनिषद' में संगृहीत हैं। यमराज ने नचिकेता को आत्म-ज्ञान का जो रहस्य समझाया था वह इस 'कठोपनिषद' में पिरोया गया है। भगवान महावीर आत्मवादी महापुरुष हैं, आत्म-तत्त्व में विश्वास रखते हैं। उनकी समस्त साधना आत्म-तत्त्व से जुड़ी हुई है। वे मानते हैं कि अगर कोई भी व्यक्ति मन, वचन और काया के व्यापारों का निरोध करके अपने भीतर अपनी आत्मा का संवेदन करता है, अपने आत्म-प्रदेशों से स्वयं को संयोजित करता है ऐसा मुमुक्षु पुनः पुनः उसका चिंतन-मनन करने वाला एक-न-एक दिन आत्मा को प्राप्त कर ही लेगा। आत्मा स्वयं उसके सामने प्रकट हो जाएगी। आत्मा को प्रगट करना चाहो तो वह प्रगट नहीं होती। जब हम उसके प्रति समर्पित होते हैं, दत्तचित्त होते हैं तो आत्मा स्वयं ही अपने आपको प्रगट कर देती है। पूजा-उपासना करने से ज़रूरी नहीं है कि देवता प्रगट हो ही जाएँ यह तो उनकी इच्छा है। उसी तरह जब तक आत्मा की स्वयं की इच्छा नहीं होती है, वह हमें योग्य पात्र नहीं समझती, तब तक अपने आपको प्रगट नहीं करती। जैसे दही में मक्खन, लकड़ी में आग, तिल में तेल छिपा रहता है, ऐसे ही हमारी चेतना हम सब लोगों में व्याप्त होती है। बस इतना-सा याद रखें कि - If you can see invisible you can do impossible. अगर तुम अदृश्य को देख सकते हो तो असंभव को भी संभव कर सकते हो। बस, इतना-सा याद रखना काफ़ी है। आज के लिए इतना ही। प्रेमपूर्वक नमस्कार ! २९७ www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only

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