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कहा - मैं जाते-जाते अपने सभी शिष्यों को यह उपदेश देना चाहता हूँ कि जो कड़क होते हैं वे जल्दी गिर जाया करते हैं और जो नरम होते हैं वे आखिरी दम तक रहा करते हैं।
जो नरम है वह जीभ है और जो कड़क है वह दाँत है ।
अकड़ और कड़कपन काम के नहीं होते । अपन लोग जो मधुर भाषा का उपयोग करते हैं फिर भी कभी-कभी भाषा कड़क हो जाती है और जब भी भाषा कड़क हो जाए तो हमें मानना चाहिए कि आज अहिंसा का अतिक्रमण हुआ । आज अहिंसाव्रत में दोष लगा। शाम को जब हम संध्यावंदन करते हैं, प्रतिक्रमण करते हैं उस समय अगर ऐसा कोई दोष लग जाए तो उसके लिए क्षमाप्रार्थना करनी चाहिए। बोलते समय ध्यान रखें कि (१) आवाज़ धीमी हो, (२) इतनी धीमी भी नहीं कि सुनाई ही न पड़े, (३) विवेकपूर्वक सत्य बोलें, (४) ऐसी सत्य भाषा न बोलें जो दूसरे को ठेस पहुँचाए, (५) भाषा मीठी, मधुर और दूसरों के दिल को छूने वाली हो। (६) अगर लगता है कि मिठासपूर्वक बोलना नहीं आता तो मौन का अभ्यास करना चाहिए । प्रत्येक व्यक्ति को कम-से-कम दो घंटे मौन रखने की आदत डालनी चाहिए। मौन रखने से वाणी की ऊर्जा पुनः संग्रहीत होती है। इस तरह बहुत से लाभ हो सकते हैं । हमें ख़याल रहे कि बोलते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाए। हमें आत्मावलोकन करते हुए निर्णय लेना होगा कि बोलते हुए आपसे वाणी-व्यवहार में कहाँ-कहाँ चूक हो जाती है। विवेक वह शस्त्र है, चिराग है, रोशनी है जो हमारे द्वारा बोली गई असभ्य, अभद्र और अनुचित भाषा के प्रयोग पर अंकुश लगाता है।
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आप सभी ने सुकरात का नाम तो सुना ही है उनके पास एक ज्योतिषी पहुँचा और कहने लगा इनका यह मोटा नाक ही बता रहा है कि यह व्यक्ति बहु क्रोधी स्वभाव का है। असल में सुकरात बहुत सुंदर नहीं थे, कहा जाए तो बदसूरत ही थे । वह और पास पहुँचा और बोला - चेहरे से ही लग रहा है कि यह राजद्रोह करने वाला व्यक्ति है । थोड़ा और पास जाकर ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की - यह व्यक्ति स्वभाव से अच्छा मालूम नहीं होता। और थोड़ा नज़दीक जाकर बोला - इसके चेहरे की रेखाओं से लगता है यह कामी लम्पट आदमी होगा। सुकरात ज्योतिषी की सारी बातें सुनते जा रहे थे, जब वह उनके
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