________________
1
से रू-ब-रू होते हैं । न कोई आरोपण करते हैं, न ही कहीं जाते हैं और मन कहीं चला भी जाए तो उसे वापस लाने का प्रयत्न करते हैं। भगवान कहाँ हैं ऊपरवाला जाने, देवता कहाँ हैं - स्वर्गवाले जानें, यमराज कहाँ है - पाताललोक वाले जानें, हम कहाँ हैं यह हम जानते हैं। इसलिए जब ध्यान करते हैं तो कहीं और नहीं जाते, किसी और में नहीं जाते, कुछ और नहीं होते । जो वह है, अपने आपसे रू-ब-रू होता है। ध्यान अर्थात् Self-inquiqry. अपने आप में बैठकर अपने आपको जानना, अपने आपको समझना है । इसलिए ध्यान में प्रज्ञा जागे प्रत्येक क्षण, विद्या जागे प्रत्येक क्षण, ज्ञान जागे प्रत्येक क्षण, बोधि जागे प्रत्येक क्षण। प्रत्येक साँस और प्रत्येक क्षण के साथ हम रू-ब-रू हो रहे हैं । हमारे भीतर जो भी उदय और विलय, उत्पाद और व्यय, हमारे भीतर कभी सुखद और कभी दुःखद, कभी प्रेम और कभी द्वेष, कभी सम्मान, कभी ईर्ष्या जो भी उदय होता है हम उसके साक्षी होते हैं और भीतर ही भीतर विश्रामपूर्ण, पूर्णतः आरामयुक्त स्थिति में ले आते हैं। देह को भी पूर्ण विश्राम और चित्त में भी पूर्ण विश्राम - यह चित्त की शांत स्थिति, हृदय की शांत स्थिति का नाम ही ध्यान है ।
‘मनड़ो लागो यार फकीरी में' - कि मन अपने आप में लग गया, खुद से रू-ब-रू हो गया। अगर मंदिर-मस्जिद में भगवान होते तो वहाँ चोरियाँ क्यों होतीं ? भगवान मंदिर में नहीं हुआ करते, हम वहाँ तो अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए जाते हैं । भगवान की पहली किरण तो हमारे अपने ही भीतर है । आत्मा हममें ही विद्यमान है, वह कब प्रकट होगी उसकी अपनी इच्छा पर निर्भर है । पर हम ध्यान करके अपने इस देहपिंड को और अपने छ:- सात इंच के दिमाग को जिसमें चित्त की, मन की, संस्कारों की, शुभ-अशुभ भावों की खटपट चलती रहती है - शांत और मौनपूर्वक उससे रू-ब-रू होते हैं। माना कि जैसे प्रत्येक तत्त्व की प्रकृति होती है वैसे ही शरीर की भी अपनी प्रकृति है, हवाओं की भी प्रकृति है और तेज हवाओं से बचने के लिए किसी ओट का सहारा ले सकते हैं । हमारी देह का गुणधर्म है आहार, निद्रा, भय और मैथुन । इसलिए कोई रोटी खा रहा है तो न वह शुभ कर रहा है न ही अशुभ, वह प्रकृति के अनुरूप हो रहा है। नींद ले रहा है अर्थात् प्रकृति प्रकृति में आ गई। कोई मैथुन कर रहा है मतलब प्रकृति प्रकृति में प्रभावी हो गई। दो ही तत्त्व हैं - पुरुष और प्रकृति ।
१२१
www.jainelibrary.org
Jain Education International
-
For Personal & Private Use Only