________________
में विवेक जग जाता है वे अपनी देह पर चमड़े के बेल्ट और जूते भी धारण नहीं करते हैं। आजकल तो इतने संसाधन हो चुके हैं कि रेग्ज़ीन, रबर, कपड़े के जूते आदि अच्छी क्वालिटी के आने लगे हैं जिनके उपयोग से हम किसी भी जानवर की सूक्ष्म हिंसा के दोष से बच सकते हैं।
जो अहिंसा में आस्था रखते हैं वे व्यापार भी उन्हीं वस्तुओं का करते हैं जिसमें हिंसा का कम-से-कम दोष लगे - जैसे - आभूषण या वस्त्र आदि। हाँ, एक व्यापार अवश्य है जिसे अहिंसा में आस्था रखने वाले लोग कर रहे हैं वह है- ब्याज या सूद का व्यापार। जो भी ब्याज का धंधा कर रहे हैं वे एक दिन में चाहे इसे न छोड़ पाएँ, पर धीरे-धीरे इससे मुक्त हो सकते हैं। यह व्यापार धनार्जन की दृष्टि से भले ही लाभप्रद हो, पर कुल मिलाकर है तो गरीबों का शोषण ही। जो लोग प्याज को हिंसा का निमित्त मानकर छोड़ना चाहते हैं, जिनके लिए प्याज खाना हिंसा है उनके लिए ब्याज खाना अहिंसामूलक कैसे हो जाएगा? प्याज छोड़ना हमारा व्यक्तिगत धर्म है, पर ब्याज खाना छोड़ना हमारा मानवीय
और सामाजिक धर्म है। अगर एक फैक्ट्री वाला दूसरी फैक्ट्री वाले को धन देता है और ब्याज लेता है तो ठीक है क्योंकि उसमें किसी का शोषण नहीं है। यह तो व्यापार के लिए एक दूसरे को सहयोग है। पर गरीब व्यक्ति से उसके आभूषण रखना, ज़मीन-जायदाद गिरवी रखना और इसके बदले उसे दो-चार रुपए सैंकड़े पर ब्याज पर पैसा देना अवश्य ही दोषपूर्ण है। यह अहिंसा का अतिक्रमण कहलाएगा और ऐसा करने वाले को प्रतिक्रमण की दरकार होती है, उसे प्रायश्चित करना चाहिए। रोटी, कपड़ा और मकान जो हमारी निजी आवश्यकताएँ होती हैं उनमें विवेक रखना चाहिए कि इनके उपयोग में हमसे हिंसामूलक कार्य कम से कम हों । कम-से-कम हिंसा करना ही महावीर के अनुयाइयों की विशेषता है।
एक बात तय है कि दुनिया की सुरक्षा अहिंसा के बलबूते ही होगी। हिंसा के बल पर दुनिया को अधिक समय तक नहीं टिकाया जा सकेगा। अगर हम अपने परिवार को भी छोटा-सा संसार मानते हैं तो वह भी अहिंसा के बल पर ही टिका हुआ रह सकेगा। सास-बहू के बीच में प्रेम हो, ननद-भाभी के बीच संतुलन हो, पति-पत्नी के बीच अहिंसामूलक व्यवहार हो। यदि हम आपस में गाली-गलौच करते हैं, एक दूसरे पर विपरीत टिप्पणियाँ करते हैं, एक दूसरे का
Jan Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org