________________
दिया है तो उसे निभाओ । बोलना ज़रूरी नहीं है, मौन बहुत ज़रूरी है, पर बोलने पर अगर कोई शब्द निकल गया है तो उसे अमल में लाने के लिए भले ही दूसरा व्यक्ति जागरूक न हो, पर हमने कहा है तो हम उसे अमल में लाएँगे ।
जो लोग रामायण से प्रेरणा लेना चाहते हैं वे प्रेरणा ले सकते हैं - प्राण जाहि पर वचन न जाहि । दिए हुए वचन को और लिए हुए नियम को मर के भी निभाना चाहिए फिर चाहे जैसी स्थिति आए । वचन देने से पहले सोचो कि पालन कर भी सकोगे या नहीं। और अगर बिना सोचे वचन दे दिया तो जो बाधाएँ आएँगी वे आएँ, पर वचन तो निभाना ही होगा । हरिश्चन्द्र जैसे लोग आज भी सत्य के कारण संसार में पूजे जाते हैं। जिसने मरघट में बिकना स्वीकार कर लिया, पर सत्य को नहीं छोड़ा। फाँसी के फंदे पर लटकना स्वीकार कर लिया । राजमहलों में राजा बनने की बजाय भिखारी बनना पसंद कर लिया, अपने सत्य को नहीं छोड़ा । सत्य बहुत बड़ा धर्म है । हमारे आचरण में सत्य होना चाहिए । हमारी वाणी में सत्य होना चाहिए। हमारी आमदनी में सत्य होना चाहिए। झूठ की कमाई चोरी कहलाएगी।
पर
महावीर को कमाई में भी सत्य की आवश्यकता पड़ी इसीलिए उन्होंने तीसरा व्रत ही ‘अचौर्य' बना दिया कि व्यक्ति कमाई में भी झूठ और चोरी न करे । आज पूरे संसार में पैसे का इतना महत्त्व बढ़ गया है कि सत्य को तो किनारे कर दिया है और पैसा ही परमेश्वर बन गया है । जब पैसा ही भगवान बन गया है तो लोग अपने ईमान को सुरक्षित नहीं रख रहे हैं और अपने पैसे को येन-केन-प्रकारेण बढ़ाने की जुगत लगाते रहते हैं । कुछ प्रशासनिक व्यवस्थाएँ ऐसी हो गई हैं, कुछ टैक्स इतना बढ़ गया है कि पैसा ब्लैक, व्हाइट होता रहता है। इस वजह से भी व्यक्ति झूठ बोलने लगा है। अगर इन व्यवस्थाओं को हटा दिया जाए तो इन्सान झूठ नहीं बोलेगा, चोरी नहीं करेगा। मैंने सुना है विदेशों में ग़लत काम किये जाने पर तुरंत सजा हो जाती है लेकिन हमारे यहाँ मामले लंबित होते रहते हैं । वहाँ लोग सत्य को धर्म समझते हैं और हम सत्य को नहीं, अहिंसा को धर्म मानते हैं । वे लोग जल्दी से झूठ नहीं बोलते, चोरी नहीं करते, टैक्स नहीं चुराते। वे छोटे-मोटे नहीं, लंबे गेम खेलते हैं।
हमने अहिंसा को सुरक्षित रखने की कोशिश की, वह भी कुछ कौम ही
દદ
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org