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गए
विविध शीर्षक के अन्तर्गत विषय अनुक्रम से या वर्गीकरण की शैली से नहीं दिए
हैं
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लेश्या - कोश एक पठनीय - मननीय ग्रन्थ हुआ है । लेश्याओं को समझने के लिए इसमें यथेष्ट मसाला है तथा शोधकर्त्ताओं के लिए यह अमूल्य ग्रन्थ होगा । रेफरेन्स पुस्तक के हिसाब से यह सभी श्रेणी के पाठकों के लिए उपयोगी होगा । वर्गीकरण की शैली विषय को सहजगम्य बना देती है । सम्पादकगण तथा प्रकाशक इसके प्रकाशन के लिए धन्यवाद के पात्र हैं।
लेश्या शाश्वत भाव है । जैसे लोक अलोक-लोकान्त- अलोकान्त- दृष्टि · ज्ञान-कर्म आदि शाश्वत भाव हैं वैसे ही लेश्या भी शाश्वत भाव है
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लोक आगे भी है, पीछे भी है;
लेश्या आगे भी है, पीछे भी है- दोनों अनानुपूर्वी
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हैं। इनमें आगे-पीछे का क्रम नहीं है लेश्या का आगे-पीछे का क्रम नहीं है
इसी प्रकार अन्य सभी शाश्वत भावों के साथ सब शाश्वत भाव अनादि काल से हैं, अनन्त काल
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तक रहेंगे (देखें '६४ ) ।
सिद्ध जीव अलेशी होते हैं तथा चतुर्दश गुणस्थान के जीव को छोड़ कर अवशेष संसारी जीव सब सलेशी हैं। सलेशी जीव अनादि है । अतः यह कहा जा सकता है कि लेश्या और जीव का सम्बन्ध अनादि काल से है ।
संसारी जीव भी अनादि काल से है । लेश्या भी अनादि काल से है । इनका सम्बन्ध भी अनादि काल से है ( देखें ६४ )।
प्राचीन आचार्यों ने 'लेश्या' क्या है इस पर बहुत ऊहापोह किया है लेकिन वे कोई निश्चित परिभाषा नहीं बना सके । सब से सरल परिभाषा है - लिश्यते श्लिष्यते आत्मा कर्मणा सहानयेति श्या- - आत्मा जिसके सहयोग से कर्मों से लिप्त होती है वह लेश्या है ( देखें ०५३ . २ ( ख ) ) |
एक दूसरी परिभाषा जो प्राचीन आचार्यों में बहुलता से प्रचलित थी वह हैकृष्णादि द्रव्य साचिव्यात्, परिणामो य आत्मनः । स्फटिकस्येव तत्रायं, लेश्या शब्द प्रयुज्यते ॥
जिस प्रकार स्फटिक मणि विभिन्न वर्णों के सूत्र का सान्निध्य प्राप्त कर उन वर्णों में प्रतिभासित होता है उसी प्रकार कृष्णादि द्रव्यों का सान्निध्य पाकर आत्मा के परिणाम उसी रूप में परिणत होते हैं, और आत्मा की इस परिणति के लिये लेश्या शब्द का प्रयोग किया जाता है ।
यहाँ जिन कृष्णादि द्रव्यों की ओर इंगित किया गया है वे द्रव्यलेश्या कहलाते हैं तथा आत्मा की जो परिणति है वह भावलेश्या कहलाती है । अभयदेवसूरि ने कहा भी हैकृष्णादि द्रव्य साचिव्य जनिताऽऽत्मपरिणामरूपां भावलेश्याम् ।
प्राचीन आचार्यों ने लेश्या के विवेचन में निम्नलिखित परिभाषाओं पर विचार किया है।
१. लेश्या योग परिणाम है-योगपरिणामो लेश्या ।
२. लेश्या कर्मनिस्यंद रूप है - कर्मनिस्यन्दो लेश्या ।
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